Tuesday, 4 September 2018

शीतकारी प्राणायाम/ Sheetkari Pranayam


योग करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है| योग बहुत ही विस्तारित है| योग के आठ अंग होते है उन्ही में से चौथा अंग है प्राणायाम। प्राणायाम को दो शब्दों से मिलकर बनाया गया है  प्राण+आयाम। प्राण का अर्थ जीवात्मा वही आयाम के दो अर्थ है- प्रथम नियंत्रण और दूसरा रोकना


प्राणायाम कई तरह के होते है| उन्ही में एक है शीतकारी प्राणायाम| यह एक बेहद ही सरल प्राणायाम है। यह हमारे शरीर को शीतलता प्रदान करता है| यह शरीर की भीतरी सफाई कर इसे शुद्ध बनता हैं|


शीतकारी प्राणायाम करने की विधि :- 

 

शीतकारी प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाये इसके पश्चात नीचे के दांतों को ऊपर के जबड़े के दांतों पर रख दे| अब दांतों के पीछे जीभ को लगाये और अपने मुंह को थोडा सा खोले ताकि सांसों को मुख के अन्दर लाया जा सके| अब धीरे से मुंह से साँस को अंदर की और रोक कर रखे फिर बाद में नाक से निकाल दें|

 

शीतकारी प्राणायाम के लाभ:-

 

·       शीतकारी प्राणायाम करने से शरीर में स्थित अतिरिक्त गर्मी दूर हो जाती है और पेट में जलन नहीं होती है|

·       यह शरीर की भीतरी सफाई कर इसे शुद्ध बनाने में मददगार है| इसलिए जिन लोगो को अधिक पसीना आने की परेशानी हो वो दूर होती है|

·       इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर में शुद्ध वायु का संचार होता हैं| इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी नहीं होती हैं जिससे पुरे दिन शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है।

·       यह प्राणायाम आपके चेहरे की सुंदरता को बढ़ाता है। इससे चेहरे की सौंदर्य वृद्धि होती है|

·       इसके निरंतर अभ्यास से रात में नींद अच्छी आती हैं| शारीरिक तेज में वृद्धि होती है। भूख-प्यास ना लगने की समस्या दूर होती है| इससे शरीर सतत स्फूर्तिवान बना रहता है।

·       यह रक्त को शुद्ध करता है। इसको करने से कई तरह के रोग जैसे दंत रोग, पायरिया, गले और मुंह के रोग, नाक और जीभ के रोगो से निजात मिलती है|

 

शीतकारी प्राणायाम करने में सावधानी :-

 

इस प्रणायाम को हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए मुह में कफ टॉन्सिल के रोगियों को यह प्राणायाम बिलकुल नहीं करना चाहिए सर्दियों के मौसम में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए खुली साफ जगह पर ही इसका अभ्यास करें धूल वाले स्थान से बचें।

 


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