गणेश शब्द..
जो इंद्रिय गणों का ,
मन- बुद्धि गणों का स्वामी है ,
उस अंतर्यामी विभू का ही वाचक है। गणानां इति गणपतिः..
उस परब्रम्ह निराकार को समझाने के लिए भगवान ने कैसी लीला की!
गणेशजी के सूपडे जैसे कान -सूपडे में कंकड़ पत्थर निकल जाते है अनाज रह जाता है अर्थात सब सुनो लेकिन सार -सार लो,
लंबी सूंड अर्थात कहाँ क्या हो रहा है सारी खबर हो,
छोटी आँखे -सूक्ष्म दृष्टि हो तोल मोल के निर्णय हो,
चूहे की सवारी-ये संकेत है अध्यात्मिक जगत में प्रवेश पाने का ।
अपनी सुषुप्त शक्तियों को जाग्रत करके तुरीयावस्था में पहुँचने का संकेत करनेवाले गणपतिजी गणों के नायक है |
ऐसे सूक्ष्म सन्देश देने वाले श्री गणेश जी के श्री चरणों मे कोटि कोटि नमन
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