Tuesday, 18 September 2018

जीवन की सार्थकता

आज का भगवद चिन्तन ॥

       जितना बड़ा वृक्ष होगा उसके बीज के अंकुरित होने की यात्रा भी उतनी ही लम्बी होगी। ठीक उसी प्रकार जीवन के शुभ संकल्प जितने श्रेष्ठ होंगे उनको साकार रूप लेने में उतना ही समय लगेगा।
       शुभ संकल्प रुपी बीज ऐसे ही फलित नहीं हो जायेंगे, परिश्रम रुपी जल से नित इन्हें सिंचित करना पड़ेगा। संकल्प रुपी खाद डालनी पड़ेंगी, कुसंग रुपी कीड़ा से बचाना होगा और झंझावत रुपी घोर निराशा से भी बचाना होगा।
       उसके बाद आपके सामने बीज नहीं अपितु एक विशाल वृक्ष होगा जिसकी शीतल छाया तले अनेकों लोग विश्राम व मधुर फलों से तृप्ति पा रहे होंगे। और आपको मिल रहा होगा एक परम धन्यता का अनुभव और जीवन की सार्थकता का आनन्द।

   जय श्रीराधे कृष्णा

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