Saturday, 1 September 2018

आज के विचार/ Thoughts Of The Day

     
 सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा |
शान्ति: पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम बान्धवा: ||

सत्य हमारी माँ हो। ज्ञान हमारा पिता हो। धर्म हमारा भाई हो। दया हमारी मित्र हो। शान्ति हमारी पत्नी और क्षमा पुत्र हो। इस प्रकार ये छः हमारे बंधु-बान्धव हों।

 भार्यावियोगः स्वजनापवादः
ऋणस्य शेषं कृपणस्य सेवा ।
दारिद्र्यकाले प्रियदर्शनं च
विनाऽग्निना पञ्च दहन्ति कायम् ॥

पत्नी का वियोग, स्वजनों की निंदा, कर्ज, कृपण (कंजूस) की सेवा, और गरीबी में प्रियजन का दर्शन– ये पाँचों अग्नि के बिना भी शरीर को जलाते हैं ।

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