रात आती भी है और जाने किधर जाती है।
कभी नींद कभी ख्वाब मनाने में गुजर जाती है।
शाम होते ही सब चले जाते हैं अपने अपने घर।
एक तन्हाई सिरहाने चुपके से ठहर जाती है।
वो बात याद आये जिसमें वादे थे बहुत।
बनकर नश्तर जाने क्यों सीने में उतर जाती है।
करती है लम्बी उम्र का वादा ये जिन्दगी।
कोई हादसा हो जाये तो झट से मुकर जाती है।
बड़ा अजीब सा रिश्ता है दिल और आँख का।
कसक दिल में होती है और आँख भर जाती है।
शुभ रात्रि/ Good Night
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