Wednesday, 12 September 2018

आज का भगवत चिंतन/ Aaj ka bhagwat chintan


       जीवन में कष्ट सहने की क्षमता तो रखो मगर इसे कष्टकर ना बनाओ। जीवन को पर-पीड़ा में लगाने में भी कष्ट मिलता है और पर-पीड़ा दायक बनाने से भी कष्ट ही मिलता है।
       मगर एक कष्ट जहाँ आपको परोपकार रुपी सुख का आंनद देता है' वहीँ दूसरा कष्ट सम्पूर्ण जीवन को ही कष्ट कारक व पीड़ा दायक बना देता है। कष्ट कारक नहीं कष्ट निवारक बनो। पीड़ा दायक नहीं प्रेम दायक बनो।
       जीवन को क्षणभंगुर समझने का मतलब यह नहीं कि कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा विषयोपभोग कर लिया जाए, बल्कि यह है कि फिर दुवारा अवसर मिले ना मिले इसलिए इस अवसर का पूर्ण लाभ लेते हुए इसे सदकर्मों में व्यय किया जाए।

जय श्रीराधे कृष्णा

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