Wednesday, 29 August 2018

विचार मंथन/ Vichar Manthan

 विचार मंथन

      जिस का चित विषय शून्य है और हृदय शांत है, उसका सारा संसार मित्र हो जाता है और मुक्ति भी उसकी मुट्टी में आ जाती है।

     जो जो पदार्थ दृश्य होते है सो मिथ्या है जैसे शक्ति विषय हुआ रूप दृश्य होने से मिथ्या ही है।

      स्वप्न के पदार्थ स्वप्न मे सच्चे प्रतीत होते है। स्वप्न के दौरान कोई जानना चाहे कि स्वप्न के पदार्थ सच्चे है या मिथ्या तो कोई नही जान सकता। जब आदमी जागता है तब जानता हे कि चारपाई पर पड़ा हूँ और मेंरे भीतर स्वप्न हुआ है। ये सब पदार्थ देश काल क्रिया मिथ्या है। इसी प्रकार तत्व ज्ञानी पुरुष जो अज्ञान रूपी निद्रा से ज्ञान रूपी जाग्रत अवस्था को प्राप्त हुआ है वह ज्ञान के लक्ष्य से कहता है कि एक ब्रह्म के सिवाए और कुछ नही है।

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