Saturday, 4 August 2018

शीतली प्राणायाम/ Sheetli Pranayam

शीतली प्राणायाम क्या है :-

शीतली प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है शीतली + प्राणायाम = शीतली प्राणायाम, इस प्राणायाम को करने से शरीर को ठंडक मिलती है । इसलिए इसे शीतली प्राणायाम कहा जाता है। यह प्राणायाम एक छायादार वृक्ष की तरह है जो भरपूर ऑक्सीजन का निर्माण करता है। ये गर्मियों के मौसम में किया जाने वाला सबसे अच्छा प्राणायाम है।

विधि :-

  सबसे पहले समतल जमीन पर कोई दरी बिछा कर उस पर सिद्धासन , सुखासन की अवस्था में बैठ जाएँ । अब अपनी जीभ को बहार निकालकर उसे मोड़ लें अथार्त उसे मोड़ कर पाइप जैसा बना लें । अब इस जीभ के माध्यम से लम्बी व् गहरी स्वांस खींचकर अपने पेट में वायु को भर दें । अब अपनी बहार निकली हुई जीभ को अन्दर कर लें और अपने मुहं को बंद कर लें । अब अपनी गर्दन को आगे की ओर झुकाकर अपने जबड़े के अगले हिस्से को छाती से लगा लें । अब अपने स्वांस को नासिका के जरिये स्वांस को बाहर निकाल दें  ध्यान रखें कि आपको सांस एक साथ बहार नहीं निकालना है बल्कि धीरे -धीरे बहार निकालना है ।


लाभ :-

1-गर्मी में फायदेमंद :- हमारे शरीर से गर्म वायु को निकाल कर उसमें शीतल वायु का प्रवेश कराता है जिससे हमारे शरीर से गर्मी बहार निकल जाती है और पूरा शरीर ठंडा हो जाता है |

2- ब्लड प्रेशर को कम करे :- अगर आपका B.P या blood pressure (रक्तचाप ) बढ़ा हुआ है तो आप शीतली प्राणायाम का अभ्यास करके हाई ब्लड प्रेशर(उच्च रक्तचाप) को कम कर सकते हैं | अगर आपका B.P लो है तो आप इस प्राणायाम का अभ्यास न करें क्यूंकि ये बढे हुए B.P को कम करता है |

3 - चेहरे पर चमक बने :- इस प्राणायाम के अभ्यास से हम अपने चेहरे पर प्राक्रतिक चमक ला सकते हैं |क्योंकि यह ब्लड को सुद्ध करता है अगर हमारा ब्लड साफ़ हो जाता है तो अपने आप ही चेहरे पर चमक बढ़ जाती है।

4-आंखों की समस्याओं से निजात :- अगर कोई भी व्यक्ति इस प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास करता है तो वो अपनी आँखों की समस्या से जल्द ही छुटकारा पा सकता है | अगर उसके चश्मे भी चढ़े हुए हैं तो वो भी उतर सकते हैं इसके लिए आप कुछ देशी औषधि का सेवन भी कर सकते हैं ।


सावधानी :-

ये प्राणायाम सुबह -सुबह खाली पेट करना चाहिए । इसका अभ्यास सर्दियों के मौसम में नहीं करना चाहिए । दमा, कफ , खांसी की शिकायत वाले लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए । लो ब्लडप्रेशर से ग्रसित लोगों को ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए। इसका अभ्यास पूरा होने के बाद कुछ देर विश्राम करें। शीतली प्राणायाम के समय साँस लयबद्ध और गहरी होनी चाहिए।

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