Saturday, 11 August 2018

गोस्वामी तुलसीदास के अनमोल वचन/ Goswami Tulsidas Ke Anmol Vachan

ईश्‍वर ने संसार को कर्म प्रधान बना रखा है, इसमें जो मनुष्‍य जैसा कर्म करता है उसको, वैसा ही फल प्राप्‍त होता है।


फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, संपत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का स्वभाव ही ऐसा ही होता है।


जिस व्यक्ति की तृष्णा जितनी बड़ी होती है, वह उतना ही बड़ा दरिद्र होता है।


वृक्ष अपने सिर पर गर्मी सहता है, पर अपनी छाया में दूसरों का ताप दूर करता है


तप के बल से ब्रह्मा सृष्टि करते हैं। तप से संसार में कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं है।


स्वप्न वही देखना चाहिए, जो पूरा हो सके।


पेट की आग (भूख) बड़वाग्नि से बड़ी होती है।

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