ध्यान एक क्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। ध्यान का उद्देश्य कोई लाभ प्राप्त करना हो सकता है या ध्यान करना अपने-आप में एक लक्ष्य हो सकता है। अलग-अलग सन्दर्भों में 'ध्यान' के अलग-अलग अर्थ हैं।
महर्षि पतंजलि के अनुसार -
चित्त को एकाग्र करके किसी एक वस्तु पर केन्द्रित कर देना ध्यान कहलाता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि भगवान का ध्यान करते थे। ध्यान की अवस्था में ध्यान करने वाला अपने आसपास के वातावरण को तथा स्वयं को भी भूल जाता है। ध्यान करने से आत्मिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। जिस वस्तु को चित में बांधा जाता है उस में इस प्रकार से लगा दें कि बाह्य प्रभाव होने पर भी वह वहाँ से न हट सके, उसे ध्यान कहते है।
ध्यान से लाभ -
ऐसा पाया गया है कि ध्यान से बहुत से मेडिकल एवं मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं।
ऐसा पाया गया है कि ध्यान से बहुत से मेडिकल एवं मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं।
बेहतर स्वास्थ्य -
शरीर की रोग-प्रतिरोधी शक्ति में वृद्धि
रक्तचाप में कमी
तनाव में कमी
स्मृति-क्षय में कमी (स्मरण शक्ति में वृद्धि)
वृद्ध होने की गति में कमी
शरीर की रोग-प्रतिरोधी शक्ति में वृद्धि
रक्तचाप में कमी
तनाव में कमी
स्मृति-क्षय में कमी (स्मरण शक्ति में वृद्धि)
वृद्ध होने की गति में कमी
उत्पादकता में वृद्धि -
मन शान्त होने पर उत्पादक शक्ति बढती है; रचनात्मक कार्यों में यह विशेष रूप से लागू होता है।
मन शान्त होने पर उत्पादक शक्ति बढती है; रचनात्मक कार्यों में यह विशेष रूप से लागू होता है।
आत्मज्ञान की प्राप्ति -
ध्यान से हमे अपने जीवन का उद्देश्य समझने में सहायता मिलती है। इसी तरह किसी कार्य का उद्देश्य एवं महत्ता का सही ज्ञान हो पाता है।
छोटी-छोटी बातें परेशान नहीं करतीं
ध्यान से हमे अपने जीवन का उद्देश्य समझने में सहायता मिलती है। इसी तरह किसी कार्य का उद्देश्य एवं महत्ता का सही ज्ञान हो पाता है।
छोटी-छोटी बातें परेशान नहीं करतीं
ध्यान कैसे लगाया जाये?
शांत दिमाग और बैठने की सही तकनीक अपनाकर आप ध्यान लगा सकते हैं।
ध्यान करने के लिए सबसे पहले एक ऐसी जगह पर बैठे जो आरामदायक हो और शोर से दूर हो। आपको जिस तरीके से बैठना अच्छा लगे वैसे बैठ जाए। आप कुर्सी पर बैठ सकते है और जमीन पर दोनों पैरों की प्लाथी मार कर भी बैठ सकते है।
बैठने के बाद अपने दोनों आँखे बंद कर ले। आँखे बंद करके आठ से दस बार लंबी और गहरी साँस ले फिर धीरे धीरे सांस छोड़े। अब आप अंतर्मन की आवाज़ पर ध्यान लगायें। शुरु में अगर आवाज़ सुनाई ना दे तो कोई बात नहीं आप प्रयास करते रहे। निरंतर और सही तरीके से प्रयास करने पर कुछ समय में आपको आवाज सुनाई देने लगेगी।
ध्यान करने के लिए म्यूज़िक का सहारा भी ले सकते है या फिर किसी मंत्र का जाप करके मंत्र की ध्वनि पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
ध्यान करने के लिए म्यूज़िक का सहारा भी ले सकते है या फिर किसी मंत्र का जाप करके मंत्र की ध्वनि पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
आपका शुक्रिया यह पोस्ट शेयर करने के लिए. मुझे कुर्सि पर बैठ कर ध्यान करना काफी आसान लगता है. मेरी कोशिश भी वहीरहती है ज़्यादातर.
ReplyDeleteशुक्रिया.
धन्यवाद शीतल जी
Delete