1.परिवर्तन इस संसार का अटल नियम है, और सब को इसे स्वीकारना ही पङता है; क्योकी कोई इसे बदल नही सकता।
2. जो मनुष्य अपने माता-पिता की सेवा पुरे सद्भाव से करते है, उनकी ख्याति इस लोक मे ही नही बल्कि परलोक मे भी होती है।
3. मोह और तृष्णा अत्यन्त ही कठोर और विनाशकारी होते है।
4.एक शासक को अपने पुत्र और अपने प्रजा मे कोई भी भेदभाव नही रखना चाहिए; ये शासन मे अडिगता और प्रजा को समृध्दि प्रदान करता है।
5. मोह मे फंसकर अधर्म का प्रतिकार न करने के कारण ही महाभारत जैसे युध्द से महान जन-धन की हानि हुई।
6.अपने गुरु के प्रति आदर और प्रेम मनुष्य को विजयी और पुरुर्षाथी बनाती है।
7. धर्म के कई द्वार हैं, संतजन उन मार्गों या रास्तों की बात करते हैं जो उन्हें मालूम होता है लेकिन सभी मार्गों का आधार आत्म संयम है ।
8. कठिन परिस्तिथियाँ आना इस जीवन च्रक का नियम है। बिना विचलित हुए इनका सामना करना ही सफलता का द्वार है।
9.सत्य और धर्म अनुकरण करने पर एक लघु प्राणी चींटी भी हाथी से ज्यादा शक्तशाली हो जाता है।
10. बङे से बङा शूरवीर भी अगर अधर्म और अन्याय का साथ देता है तो धर्म के आगे उसे अन्ततः झुकना ही पङता है।
11.सत्ता सुख भोगने के लिए नही, अपितु कठिन परिश्रम करके समाज का कल्याण करने के लिए होता है।
12.एक मनुष्य को अपनी मातृभूमि सर्वोपरि रखनी चाहिए; और हर परिस्थत मे उसकी रक्षा करनी चाहिए।
13.समय अत्यधिक बलवान होता है, एक क्षण मे समस्त परिस्थितियाँ बदल जाती है।
14.विधि के विधान के आगे कोई नही टिक सकता । एक पुरुर्षाथी को भी वक्त के साथ मिट कर इतिहास बन जाना पङता है।
15.जिसे सत्य पर विश्वास होता है, और जो अपने संकल्प पर दृढ होता है, उसका सदैव कल्याण होता रहता है।
16. अपने आत्मबल, आत्म सार्मथ्य, विवेक, शालीनता और तेज से ही मनुष्य की पहचान होती है।
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