अनुलोम विलोम एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम है| इस प्राणायाम में सांस लेने की क्रिया को बार बार किया जाता है| अनुलोम का मतलब होता है सीधा और विलोम का मतलब होता है उल्टा। इस प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस को खींचते हैं, और बायीं नाक के छिद्र से सांस को बाहर निकालते है।
अनुलोम विलोम प्राणायम को नाड़ी शोधक प्राणायम के नाम से भी जाना जाता है| इस आसान को करने के लिए उम्र का बंधन नहीं है, हर उम्र के व्यक्ति इसका लाभ उठा सकते है| इसे नियमित रूप से करने पर शरीर की सारी नाडि़यां शुद्ध व निरोग रहती हैं।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने का तरीका
किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जायें। पद्मासन सबसे उत्तम है, परंतु सिद्धासन या वज्रासन भी ठीक है अगर आप पद्मासन नहीं कर सकते। अगर नीचे बैठना मुमकिन ना हो तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।
अपने दाहिने हाथ के अंगूठे के साथ दाहिने नथुने को बंद करें। बाएँ नथुने से धीरे - धीरे श्वास लें।
अब दाहिने नथुने को छोड़ दें, हाथ की रिंग फिंगर से बायें नथुने को बंद कर लें और दाहिने नथुने से श्वास छोड़ें। यह पूरा हुआ एक तरफ का क्रम।
शुरुआत में 2 मिनिट से ज़्यादा ना करें। समय के साथ साथ अवधि बढ़ायें।
अपने दाहिने हाथ के अंगूठे के साथ दाहिने नथुने को बंद करें। बाएँ नथुने से धीरे - धीरे श्वास लें।
अब दाहिने नथुने को छोड़ दें, हाथ की रिंग फिंगर से बायें नथुने को बंद कर लें और दाहिने नथुने से श्वास छोड़ें। यह पूरा हुआ एक तरफ का क्रम।
शुरुआत में 2 मिनिट से ज़्यादा ना करें। समय के साथ साथ अवधि बढ़ायें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ-
- फेफड़े शक्तिशाली होते है।
- सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।
- हृदय बलवान होता है।
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