भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम एक भस्त्र या धौंकनी की तरह कार्य
करता है। यह भौतिक औऱ
सूक्ष्म शरीर को गर्म करता है। यह एक ऐसा प्राणायाम है जिसमें लगातार तेजी से बलपूर्वक
श्वास लिया और छोड़ा जाता है।
विधि
- सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाए। अगर पद्मासन में न बैठ पाये तो किसी
आराम अवस्था में बैठें लेकिन ध्यान रहे आपकी शरीर, गर्दन और सिर सीधा हो।
- शुरू शुरू में धीरे धीरे सांस लें।
- और इस सांस को बलपूर्वक छोड़े।
- अब बलपूर्वक सांस लें और बलपूर्वक सांस छोड़े।
- इस अभ्यास के दौरान आपकी ध्वनि साँप की हिसिंग की तरह होनी चाहिए।
लाभ
- भस्त्रिका प्राणायाम अस्थमा रोगियों
के लिए बहुत ही उम्दा योगाभ्यास है। कहा जाता है की नियमित रूप से इस
प्राणायाम का अभ्यास करने से अस्थमा कम ही नहीं होगा बल्कि हमेशा हमेशा के
लिए ठीक हो जायेगा।
- इस योग के अभ्यास से गले की सूजन में बहुत राहत मिलती है।
- यह जठरानल को बढ़ाता है, बलगम को खत्म करता है, नाक और सीने की बीमारियों को दूर करता है।
- इसके प्रैक्टिस से भूख बढ़ाता है।
- हठप्रदीपिका के अनुसार
वायु, पित्त और बलगम की अधिकता से होनी वाली बीमारियों को दूर करता है और
शरीर को गर्मी प्रदान करता है।
- यह प्राणायाम नाड़ी प्रवाह को शुद्ध करता है।
- यह श्वास से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सबसे अच्छा प्राणायाम है।
सावधानियां
- भस्त्रिका प्राणायाम उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को नहीं करनी चाहिए।
- हृदय रोग, सिर चकराना, मस्तिष्क ट्यूमर, मोतियाबिंद, आंत या पेट के अल्सर या पेचिश के मरीजों के ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- गर्मियों में इसके बाद सितली या सितकारी प्राणायाम करना चाहिए, ताकि शरीर ज्यादा गर्म ना हो जाए।
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