Monday, 30 July 2018

दयानन्द सरस्वती के अनमोल विचार/ Dayanand Saraswati Ke Anmol Vachan

1: नुक्सान से निपटने में सबसे ज़रूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना. वो आपको सही मायने में विजेता बनाता है.


2: इंसान को दिया गया सबसे बड़ा संगीत यंत्र आवाज है.


3: लोग कहते हैं कि वे समझते हैं कि मैं क्या कहता हूं और मैं सरल हूं. मैं सरल नहीं हूँ, मैं स्पष्ट हूं.


4: दुनिया को अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिये और आपके पास सर्वश्रेष्ठ लौटकर आएगा.


5: कोई मूल्य तब मूल्यवान है जब मूल्य का मूल्य स्वयम के लिए मूल्यवान हो.


6: सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो.


7: आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आज़ाद रह सकें. लेकिन, ये कभी ऐसे काम नहीं करता. दूसरों को स्वीकार करिए और आप मुक्त हैं.


8: जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है वह परिपक्कव है, क्योंकि जीने मेंही आत्म-विकास निहित है.


9: गीत व्यक्ति के मर्म का आह्वान करने में मदद करता है. और बिना गीत के, मर्म को छूना मुश्किल है.


10: प्रबुद्ध होना- ये कोई घटना नहीं हो सकती. जो कुछ भी यहाँ है वह अद्वैत है. ये कैसे हो सकता है? यह स्पष्टता है.


11:हमें पता होना चाहिए कि भाग्य भी कमाया जाता है और थोपा नहीं जाता. ऐसी कोई कृपा नहीं है जो कमाई ना गयी हो.


12: अगर आप पर हमेशा ऊँगली उठाई जाती रहे तो आप भावनात्मक रूप से अधिक समय तक खड़े नहीं हो सकते.


13:मुझे सत्य का पालन करना पसंद है; बल्कि, मैंने औरों को उनके अपने भले के लिए सत्य से प्रेम करने और मिथ्या को त्यागने के लिए राजी करने को अपना कर्त्तव्य बना लिया है. अतः अधर्म का अंत मेरे जीवन का उदेश्य है.


14:कोई भी मानव हृदय सहानुभूति से वंचित नहीं है. कोई धर्म उसे सिखा-पढ़ा कर नष्ट नहीं कर सकता. कोई संस्कृति, कोई राष्ट्र कोई राष्ट्रवाद- कोई भी उसे छू नहीं सकता क्योंकि ये सहानुभूति है.

Monday, 23 July 2018

Thoughts Of The Day


“प्रसन्न रहना ही हमारे जीवन का उद्देश्य है।”

- दलाई लामा



"The purpose of our lives is to be happy.”

- Dalai Lama

Sunday, 22 July 2018

भस्त्रिका प्राणायाम/ Bhastrika Pranayam

भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम एक भस्त्र या धौंकनी की तरह कार्य करता है। यह भौतिक औऱ सूक्ष्म शरीर को गर्म करता है। यह एक ऐसा  प्राणायाम है जिसमें लगातार तेजी से बलपूर्वक श्वास लिया और छोड़ा जाता है।

विधि

  • सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाए। अगर पद्मासन में न बैठ पाये तो किसी आराम अवस्था में बैठें लेकिन ध्यान रहे आपकी शरीर, गर्दन और सिर सीधा हो।
  • शुरू शुरू में धीरे धीरे सांस लें।
  • और इस सांस को बलपूर्वक छोड़े।
  • अब बलपूर्वक सांस लें और बलपूर्वक सांस छोड़े।
  • इस अभ्यास के दौरान आपकी ध्वनि साँप की हिसिंग की तरह होनी चाहिए।

लाभ

  1. भस्त्रिका प्राणायाम अस्थमा रोगियों के लिए बहुत ही उम्दा योगाभ्यास है। कहा जाता है की नियमित रूप से इस प्राणायाम का अभ्यास करने से अस्थमा कम ही नहीं होगा बल्कि हमेशा हमेशा के लिए ठीक हो जायेगा।
  2. इस योग के अभ्यास से गले की सूजन में बहुत राहत मिलती है।
  3. यह जठरानल को बढ़ाता है, बलगम को खत्म करता है, नाक और सीने की बीमारियों को दूर करता है।
  4. इसके प्रैक्टिस से भूख बढ़ाता है।
  5. हठप्रदीपिका के अनुसार वायु, पित्त और बलगम की अधिकता से होनी वाली बीमारियों को दूर करता है और शरीर को गर्मी प्रदान करता है।
  6. यह प्राणायाम नाड़ी प्रवाह को शुद्ध करता है।
  7. यह श्वास से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सबसे अच्छा प्राणायाम है।

सावधानियां

  • भस्त्रिका प्राणायाम उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को नहीं करनी चाहिए।
  • हृदय रोग, सिर चकराना, मस्तिष्क ट्यूमर, मोतियाबिंद, आंत या पेट के अल्सर या पेचिश के मरीजों के ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • गर्मियों में इसके बाद सितली या सितकारी प्राणायाम करना चाहिए, ताकि शरीर ज्यादा गर्म ना हो जाए।

Saturday, 21 July 2018

कपालभाति प्राणायाम/ Kapalbhanti Pranayam

कपालभाती आसन एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है। इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
योग की हर क्रिया कारगर होती है, लेकिन बात जब कपालभाती प्राणायाम की होती है तो इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है। योग के आसनों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली एक रोचक प्रक्रिया है। दिमाग के आगे के हिस्‍से को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है।

कैसे करें

कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुं‍डलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि हमारे शरीर के सारे नकारात्‍मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।

फायदे

  1. कपालभाति प्रणायाम की मदद से आप अपने शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकते हैं।
  2. ये लिवर और किडनी को बेहतर काम करने लायक बनाता है।
  3. इस प्रणायाम से थकान कम होती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।
  4. ये आंखों के नीचे के काले घेरों को भी ठीक करता है।
  5. कपालभाति प्रणायाम से ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है और शरीर का मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है।
  6. ब्लड सर्कुलेशन ठीक होने के कारण आपका दिमाग अच्छी तरह काम करता है।
  7. इस प्रणायाम से फेफड़ों का फंक्शन भी अच्छा हो जाता है।

शरीर की अतिरिक्‍त चर्बी कम होती है खासकर पेट की, यानी यह वजन कम करने में भी कारगर आसन है।  इसके नियमित अभ्‍यास करने से कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्या भी दूर हो जाती है।
कपालभाती प्राणायाम का सबसे ज्याद प्रभाव पड़ता है शरीर और मन पर, क्‍योंकि यह मन से नकारात्‍मक तत्‍वों को दूर कर सकारात्‍मकता लाता है। थायराइड, चर्म रोग, आंखों की समस्‍या, महिलाओं की समस्‍या, डायबिटीज, कैंसर, हीमोग्‍लोबिन का स्‍तर सामान्‍य करना, किडनी को मजबूत बनाने जैसे सभी तरह की समस्‍याओं को दूर करने की क्षमता होती है

 सावधानी

जिन लोगों को सांस संबंधी समस्‍या हो उनको चिकित्‍सक की सलाह के बाद ही यह आसन करना चाहिए।


 

Thoughts Of The Day/ आज के विचार

यहां हर किसी को दरारों में झांकने की आदत है, दरवाजे खोल दो तो कोई पूछने नहीं आएगा।

ऐसी कोई भी वस्तु नहीं जो अभ्यास से प्राप्त न हो सकती हो।
 —संत ज्ञानेश्वर 



Everyone is in the habit of peeping in cracks, open the doors and no one will come to ask.

There is no such thing that can not be obtained from practice.

 -Sant Dnyaneshwar

श्री कृष्ण चालीसा/ Shri Krishna Chalisa

॥दोहा॥
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल, नयन कमल अभिराम॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पिताम्बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥
॥चौपाई॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन। जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर नाग नथैया। कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो। आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरी तेरी। होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो। आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे। मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
रंजित राजिव नयन विशाला। मोर मुकुट वैजयंती माला॥
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे। कटि किंकणी काछन काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे। छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले। आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो। अका बका कागासुर मारयो॥
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला। भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई। मसूर धार वारि वर्षाई॥
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो। गोवर्धन नखधारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई। मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो। कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें। चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा। सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहारयो। कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई। उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो। मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी। लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा। जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मारयो। भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो। तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे। दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखि प्रेम की महिमा भारी। ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हांके। लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाये। भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥
मीरा थी ऐसी मतवाली। विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी। शालिग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो। उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करी तत्काला। जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई। दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला। बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥
अस नाथ के नाथ कन्हैया। डूबत भंवर बचावत नैया॥
सुन्दरदास आस उर धारी। दयादृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो। क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै। बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥
॥दोहा॥
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥

Friday, 20 July 2018

Thoughts Of The Day/ आज के विचार

हम जो हैं वह हमें ईश्वर की देन है, हम जो बनते हैं वह परमेश्वर को हमारी देन है। 

-एलानर पॉवेल


What we are is God's gift to us. What we become is our gift to God. 

-Eleanor Powell

श्रीराम चालीसा

॥चौपाई 



श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥

 

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥

दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥

 

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥

तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥

 

ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥

चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥

 

गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥

 

राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥

 

शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥

फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥

 

भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥

नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥

 

लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥

ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥

 

महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥

सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥

 

घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥

 

सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥

औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥

 

इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥

जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥

 

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥

सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥

 

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥

 

सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥

तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥

 

जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥

राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥

 

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥

 

सत्य शुद्घ देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥

 

याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥

आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥

 

और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥

 

साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥

अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

 

श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥


 

॥ दोहा॥

 

सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।

हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥

 

राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।

जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥

 


Thursday, 19 July 2018

आरती साईबाबा की/ Aarti Saibaba Ki

   

आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ।
चरणों के तेरे हम पुजारी साईं बाबा ॥
विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ॥

ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥

आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥

भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनों के हितकारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥

Thoughts Of The Day/ आज के विचार

आप किसी व्यक्ति को धोखा देते हैं तो आप अपने आपको भी धोखा देते हैं।

-आइज़ेक बेशेविस सिंगर 



When you betray somebody else, you also betray yourself. 

- Isaac Bashevis Singer 

श्री बाला जी आरती/ Shree Balaji Aarti


जय हनुमत वीरा स्वामी जय हनुमत वीरा
संकट मोचन स्वामी, तुम हो रनधीरा
पवन पुत्र अंजनी सूत महिमा अति भारी
दुखः दारिद्रय मिटाओ, संकट छय हारी
बाल समय मे तुमने, रवि को भच्छ लियो
देवन स्तुति किन्ही, तुरंत ही छोड़ दियो
कपि सुग्रीव राम संग, मैत्रीय करवाई
अभिमानी बलि मटियो, कीर्ति रही छायी
जारी लांक दिय सुध ले आये वानर हर्षयो
कारज कठिन सुधरे, रघुबर मन भये
शक्ति लगी लक्छमण को, भारी सोच भयो
लाय संजीवन बूटी, दुख्न सब दूर कियो
रामहि ले अहिरावण, जब पाताल गयो
ताहि मारी प्रभु लाये, जय जयकार भयो
राजत मेहंदीपुर मे, दर्शन सुखहारी
मंगल और सनिशचर, मेला है जारी
श्री बालाजी की आरती, जो कई नर गावे
कहत इंद्र हर्षित मन, वंचित फल पावे




Om Jai Hanumat Veera Swami Jai Hanuat Veera,
Sankat Mochan Swami Tum ho Randhira.
Pawan-Putra Anjani-Sut, mahimaati bhari, 
Dukh Daridra mitao, Sankat chah hari.
Bal samay mein tumne Ravi ko bhaksh liyo,
Devan stuti kinhi, tab hi chod diyo. 
Kapi Sugriv Ram sang maitri karvai,
abhimaani bali madiyo, kirti rahi chayi, 
Jari lank ko le Siye ki sudhi Vanar harshaye, 
Karaj kathin sudhare Raghuveer maan bhaye.
Shakti lagi Lakshman ke bhari soch bhayo,
Lay Sanjivan booti dukh sab door kiyo. 
ramhi le ahirawan, jab paatal gayo, 
Tahi mari prabhu laye jai jaikar bhayo.
Rajat memdhipur mein, darshan sukh hari,
Mangal aur Shanischar mela hai bhari.
Shree Balaji ki aarti jo koi nar gave,
Kahat Indra harshit maan vanchhit phal pave.

सूर्य देव आरती/ Surya Dev Aarti

 जय जय जय रविदेव जय जय जय रविदेव l
रजनीपति मदहारी शतलद जीवन दाता ll
पटपद मन मदुकारी हे दिनमण दाता l
जग के हे रविदेव जय जय जय स्वदेव ll
नभ मंडल के वाणी ज्योति प्रकाशक देवा l
निजजन हित सुखराशी तेरी हम सब सेवा ll
करते हैं रविदेव जय जय जय रविदेव l
कनक बदन मन मोहित रुचिर प्रभा प्यारी ll
नित मंडल से मंडित अजर अमर छविधारी l
हे सुरवर रविदेव जय जय जय रविदेव ll




Jai Jai Jai Ravidev Jai Jai Jai Ravidev l
Rajanipati Madhaari Shatlad Jeevan Daata ll
Patpad Mann Madukaari Hey Dinmann Daataa l
Jag Ke He Ravidev Jai Jai Jai Swadev ll
Nabh Mandal Ke Vaani Jyoti Prakaashak Deva l
Nijjan Hit Sukhraashi Teri Hum Sab Sevaa ll
Karte Hai Ravi Dev Jai Jai Jai Ravidev l
Kanak Badan Man Mohit Ruchir Prabha Pyari ll
Nit Mandal Se Mandit Ajar Amar Chavidhaari l
Hey Survar Ravidev Jai Jai Jai Ravidev ll 

Wednesday, 18 July 2018

Thoughts Of The Day/ आज के विचार

महत्त्व इस बात का नहीं है कि आप कितने अच्छे हैं। महत्त्व इस बात का है कि आप कितना अच्छा बनना चाहते हैं।
-पॉल आर्डेन



It’s not how good you are. It’s how good you want to be.
-Paul Arden

श्री गौमता जी की आरती/ Gau Mata Ki Aarti

 


ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता   ।
जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता     । ।

सुख समृद्धि प्रदायनी,  गौ की कृपा मिले        ।
जो करे  गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले          । ।

आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई         ।
शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई             । ।

सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो        ।
अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो    । ।

ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता       ।
जग की पालनहारी, कामधेनु माता                 । ।

संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गायी          ।
गौ शाला की सेवा, संतन मन भायी                 । ।

गौ माँ की रक्षा हित, हरी अवतार लियो           ।
गौ पालक गौपाला, शुभ सन्देश दियो              । ।

श्री गौमात की आरती, जो कोई सुत गावे         ।
"पदम्" कहत वे  तरणी, भव से तर जावे        । ।

Tuesday, 17 July 2018

Thoughts Of The Day/ आज के विचार

जब आप किसी चीज़ में यकीन करें, तो पूरी तरह करें, निस्संदेह और निर्विवाद रूप से।
-वाल्ट डिज़्नी



When you believe in a thing, believe in it all the way, implicitly and unquestionable.
-Walt Disney
 

अन्नपूर्णा माता की आरती/ ANNAPURNA MATA KI AARTI

बारंबार प्रणाम भया, बारंबार प्रणाम ।
जो नही ध्यवे तुम्हे अंबिके,
कहाँ उसे विश्राम ।
अनापूर्णा देवी नाम तिहारो,
ले होत सब काम ।
प्रलय युगांतर ओ जनमनांतर,
कालांतर तक नाम ।
सुर असुरो की रचना करती,
कहाँ कृष्णा कहाँ राम ।
चूमही चरण चतुर चतुरानन,
चारू चक्रधर श्याम ।
चंद्रा चूरना चंद्रनन चाकर,
शोभा लखहि सलाम ।
देवी देव! दयनिया दशा मे,
दया दया तव नाम ।
त्राहि त्राहि शरणागत वत्सल,
शरनरूप तव धाम ।
श्री हृिम श्रधा श्री ऐम विद्या,
श्री क्लिम कमला कम ।
कांटी भ्रान्तिमयी कांति शान्तीमयी,
सयोवर दे तू निष्काम ।





BARAMBAR PRANAM BHYA, BARAMBAR PRANAM ।
JO NAHI DHYAVE TUMHE AMBIKE,
KAHAN USE VISHRAM ।
ANAPURNA DEVI NAAM TIHARO,
LEY HOT SAB KAAM ।
PRALAYA YUGANTAR O JANAMANANTAR,
KALANTER TAK NAAM ।
SUR ASURO KI RACHNA KARTI,
KAHAN KRISHNA KAHAN RAM ।
CHUMAHI CHARAN CHATUR CHATURANAN,
CHARU CHAKRADHAR SHYAM ।
CHANDRA CHURNA CHANDRANAN CHAKAR,
SHOBHA LAKAHI SALAAM ।
DEVI DEVI DAYANIYA DASHA ME,
DAYA DAYA TAV NAM ।
TRAHI TRAHI SHARNAGAT VATSAL,
SHARANROOP TAV DHAM ।
SHRI HRIM SHRADHA SHRI AIM VIDYA,
SHRI KLIM KAMALA KAAM ।
KANTI BHRATIMAYI KANTI SHANTIMAYI,
SYOVAR DE TU NISHKAAM ।

SMS/ JOKES

एक पति ने अपनी पत्नी को दिल की बात बताई :
"तुमसे शादी कर के मुझे एक फायदा हुआ है "
पत्नी : "कौन सा फ़ायदा ?"
पति : "मुझे मेरे गुनाहों की सजा, इसी जन्म में मिल गई !!!



पत्नी :- सुनो जी !! शाम को घर पर
व्हाट्सअप जी की पूजा रखी हैं..
पास-पड़ोस की सभी लेडिस
लोगों को
बुलाया हैं...
प्रसाद में क्या बाँटू..???
पति :- मेरा नम्बर बाँट देना..
पुण्य मिलेगा.. 



पत्नी ने अंग्रेजी की किताब
पढ़ते हुए पति से पूछा
ये complete और finish में क्या अंतर है ..???
.
.
पति :: जैंसे मैं तुम्हें मिल गया तो तुम्हारी लाइफ हो गई  complete
और तुम मुझे मिल गई तो मेरी लाइफ हो गई  finish...!
पति घर से फरार है।


पत्नि अपने पति से : "जी, मैं आपके दिल में रहना चाहती हूं ।"
पति : " ठीक है । पर वहाँ दूसरी औरतों से लड़ना मत ।"


महिला: डॉक्टर साहब, मेरे पति नींद में बातें करने लगे हैं। क्या करूं?
डॉक्टर: उन्हें दिन में बोलने का मौका दीजिए



बाप ने बेटे से पुछा--
सरकारी स्कूल के मास्टर को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
बेटा बोला--- GST..
बाप गुस्से में --- क्या बकबास है ये???
बेटा---- पापा यही सच है
मतलब--- Government School Teacher..



बचपन में समझते थे कि '
अंगूठा सिर्फ चूसने और चिड़ाने के लिए बनाया है ,
पर साला...अब पता चला है कि...
अंगूठा तो इश्वर ने ' वटसप् ' चलाने के लिए बनाया है  ।।
     


पिता जी :- रिजल्ट कैसा रहा तुम्हरा...
बेटा :- मास्टर साहब कह रहे थे एक साल और लग जायेगा तुम्हे इस क्लास मे...
पिता जी :- बेटा चाहे  दो - तीन साल लग जाये लेकिन फेल ना होना...



खतरनाक जोक
पत्नी को एक थप्पड मारने की सजा 1000 रुपये जज साहब ने सुनाई..
तब संता ने जज को पुछा :- "दुसरा एक थप्पड मार दु..??
जज गुस्से से :- क्यो..??
संता :- क्योंकि छुट्टा नहीं है मेरे पास 2000 रुपये का नोट है।



Qus:- दुनिया के दो सबसे बङे घातक और खतरनाक हथियारो के नाम लिखो..?
Ans:- 1. बीवी के आंसू और
         2. पड़ोसन की स्माइल



पानी मे बैठी हुई भैस
और
.
.
सीरियल देखने बैठी औऱत
कभी जल्दी नही उंठती..



जीजा को जीजू कहने वाली लडकियाँ ही,*
*भारत में हुये आधे से ज्यादा तलाक की जिम्मेदार होती है !!*



आज का ज्ञान:
अगर आप चाहते हैं कि सब लोग आप को हमेशा *अच्छा* कहें, तो...
...अपना नाम ही *"अच्छा"* रख लें!!
ज्ञान समाप्त 



अब   तो  डर लगने  लगा है  उन लोगो से,
जो कहते है मेरा #__विश्वास तो करो । 



हम लोग अपनी बेस्ट एक्टिंग
तब करते हैं
जब रिश्तेदार जाते समय
पैसे दे रहा होता है



पप्पु का रेडियो खराब हो गया.
खोलकर देखा तो अंदर चूहा मरा हुआ था.
यह देखकर पप्पु बोला…
Ooo  my god,,,,
सिंगर तो मर गया.



एक कैदी दूसरे कैदी से : तुम्हे पुलिस ने क्यू पकड़ा !
दूसरा कैदी : बैंक लूटकर वहि पैसे गिनने लगा और पुलिस ने पकड़ लिया!
...
पहला कैदी : वहा गिनने की क्या जरुरत थी!
दूसरा कैदी : वहा लिखा था काउंटर छोडनेसे पहले पैसे गिंन ले बाद में बैंक जिमेदार नहीं रहेंगी
धन्यवाद!



एक लड़के ने एक लड़की से उसका वाट्सअप नम्बर माँगा....
लड़की ने देने से मना कर दिया।
.
..
.
.
लड़का बोला : वहां बार्डर पर सैनिक जान दे रहे हैं और तुम "वाट्सअप" नम्बर नहीं दे सकती,
"देशद्रोही" कहीं की



My wife implemented GST almost  15 years ago...
.
.
.
G.. Galti..
S.. Sirf..
T.. Tumhari hai

Monday, 16 July 2018

प्राणायाम क्यों जरूरी है

प्राणायाम क्यों जरूरी है ??
शरीर के स्वस्थ बने रहने में हमारे श्वसन तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. दूषित और विषाक्त पर्यावरण वैसे ही हमारे स्वास्थ्य को ग्रस रहा है उस पर हमारा गलत आहार-विहार और सही जीवन शैली सम्बन्धी हमारी अज्ञानता इसमें इजाफा कर रहे हैं. Biovatica.com इस लेख के माध्यम से श्वसन तंत्र को सशक्त और शरीर को स्वस्थ बनाने में आहार और उचित जीवन शैली की भूमिका पर प्रकाश डाल रहे हैं.
प्राकृतिक चिकित्सा की मान्यता के अनुसार हमारा शरीर तभी अस्वस्थ होता है जब शरीर में विषाक्त द्रव्य एकत्रित होने लगते हैं. शरीर को शुद्ध रखने वाले अंग जब अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर पाते तब यह स्थिति उत्पन्न होती है.
हमारा शरीर जीवित रहे और उसके सारे क्रिया-कलाप सुचारु ढंग से चलते रहें इसके लिए हमारे शरीर को निरंतर ऊर्जा व् शक्ति की आवश्यकता रहती है जिसकी आपूर्ति के लिए हमें नियमित रूप से भोजन, पानी व् श्वास (ऑक्सीजन) ग्रहण करते रहना होता है. अब नियमित रूप से शरीर द्वारा ग्रहण किये गए विभिन्न आहार से ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया से उत्पन्न पदार्थों के रूप में शरीर में निरंतर गंदगी भी एकत्रित होती रहती है. इतना ही नहीं शरीर में नियमित रूप से होने वाली टूट-फुट और चयापचय के कारण भी कई अनावश्यक तत्व शरीर में इकठ्ठा होने लग जाते हैं.
शरीर से नियमित रूप से गंदगी का निष्कासन होता रहे इसके लिए शरीर के चार सफाई कर्मचारी नियमित रूप से काम करते रहते हैं. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शरीर को गन्दगी से मुक्त रखना बहुत आवश्यक है और इसके लिए इन प्रमुख सफाई अंगों को शक्तिशाली व् कार्यक्षम बनाये रखना बहुत आवश्यक है ताकि वे अपनी पूर्ण कार्यक्षमता से कार्य कर सकें और शरीर में गंदगी एकत्र ही न हो. मनुष्य शरीर के, सफाई करने वाले चार प्रमुख अंग हैं -
१) त्वचा
२) मूत्र संस्थान
३) मल संस्थान
४) श्वसन संस्थान .
इनमे से सबसे महत्वपूर्ण संस्थान - श्वसन संस्थान को सशक्त बनाने सम्बन्धी कुछ साधारण बिंदुओं पर इस आर्टिकल में विस्तृत विवरण दिया जा रहा है.श्वसन तंत्र अर्थात फेफड़ों के कार्य, उनकी उपयोगिता और उनको सबल बनाने वाले आहार विहार और जीवन शैली साधारण दिखने वाले लेकिन प्रभावी और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर हम सिलसिलेवार चर्चा करेंगे. अंत में शरीर में कफ वृद्धि होने पर किन बातों का ख्याल रखना चाहिए इस पर बात होगी. तो लीजिये, इस विषय पर बिंदुवार चर्चा शुरू करते हैं.
 
शरीर का सर्वाधिक शक्तिशाली सफाई करने वाला अंग - फेफड़ा - मनुष्य शरीर से निष्कासित होने वाली गंदगी का ३% मल संस्थान के माध्यम से , ७ % स्वेदन संस्थान यानी पसीने के माध्यम से, १५% मूत्र संस्थान के माध्यम से और ७५% फेफड़ों के माध्यम से नियमित रूप से निष्कासन होता रहता है.
प्रायः यह देखा गया है की व्यक्ति फेफड़ों का सही प्रकार और सही विधि से न तो उपयोग करता है और न फेफड़ों को ऑक्सीजन ग्रहण करने के लिए आदर्श वातावरण ही प्रदान करता है. यही वजह है की वह हमेशा थका-थका, साइनस , सर्दी, दमा जैसे कई कफजनित रोगों से ग्रसित रहता है. इतना ही नहीं फेफड़ों की पूरी क्षमता का उपयोग न कर पाने की वजह से उसका पाचन भी प्रभावित होता है.

मनुष्य अपने फेफड़ों की क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं करता - सामान्य अवस्था में मनुष्य अपने फेफड़ों की बहुत ही कम क्षमता का उपयोग करते है. प्रायः मनुष्य फेफड़ों की ३३ प्रतिशत कार्यक्षमता का ही प्रयोग अपने सामान्य जीवन में कर पाते हैं क्यूंकि उनकी जीवनशैली में व्यायाम, योग, टहलना या अन्य कोई शारीरिक गतिविधि शामिल नहीं होती है. इस पर जुल्म यह की प्रदूषित वातावरण के कारण उसे पर्याप्त ऑक्सीजन भी नहीं मिलता उल्टा विभिन्न विषाक्त गैस और रसायन उसके शरीर में पहुँचते रहते हैं. सामान्य श्वास-प्रश्वास के माध्यम से ५०० मिली वायु ग्रहण की जाती है जबकि फेफड़ों की कार्यक्षमता पुरुषों में ३.६ से ६.३ लीटर व् महिलाओं में २.५ से ४.७ लीटर होती है. इससे यह पता चलता है की फेफड़ों की कार्यक्षमता का कितना कम प्रतिशत मनुष्य उपयोग में लाता है.

शक्ति का भण्डार - ऑक्सीजन
ऑक्सीजन का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. मनुष्य ऑक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकता. इसीलिए श्वास द्वारा फेफड़ों में जाने वाली वायु को प्राणवायु कहते हैं. हमारी जीवन यात्रा के लिए पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु की आवश्यकता रहती है और कम प्राणवायु से शरीर स्वस्थ कैसे रह सकता है. कहने का तात्पर्य ये है की जितना अधिक हम अपने फेफड़ों को दूषित वातावरण से बचा सकें और स्वस्थ शुद्ध वातावरण में अपने फेफड़ों को पर्याप्त ओक्सिजेन उपलब्ध करा सकें तो शरीर उतना ही स्वस्थ व् निरोगी रहेगा.
ऑक्सीजन का चमत्कार - हम जब घर में रहते हैं तो थोड़े से भोजन को भी पचाने के लिए पाचक चूर्ण और दवा-गोलियों का सहारा लेना पड़ता है और वहीँ जब हम बाहर घूमने जाते हैं तो सामान्य की तुलना में अधिक आहार खाकर उसे बड़ी आसानी से पचा लेते हैं. पहाड़ी इलाकों के शुद्ध वातावरण में जीवन जीने वाले लोग दिन में चार चार बार खाना खाते हैं और वो भी बिना किसी औषधि के सहारे के पच जाता है. उक्त बातें शुद्ध वायु के महत्त्व को प्रतिपादित करने के लिए पर्याप्त हैं. और यही कारण है की जब हम बाहर जाते हैं तो अत्यधिक मात्रा में सेवन किये गए भोजन का भी आसानी से पाचन हो जाता है.
हमें ऑक्सीजन की आवश्यकता क्यों होती है ? - अब इस बात पर विचार करना जरुरी हो जाता है की हमें शुद्ध वायु अर्थात ऑक्सीजन की आवश्यकता क्यों होती है? हमारे द्वारा भोजन में ग्रहण किये गए आहारीय द्रव्यों के पाचन का अंतिम पाचन कण ग्लूकोज़ होता है. यही ग्लूकोज़ रक्त के माध्यम से शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचाया जाता है. श्वास के माध्यम से हम जो ऑक्सीजन लेते हैं वह भी रक्त के द्वारा प्रत्येक कोशिकाओं तक पहुँच कर ग्लूकोज़ का ज्वलन करती है. यदि किसी भाग में ग्लूकोज़ व् ऑक्सीजन न पहुंचे तो वहां की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं. अर्थात शरीर के उस हिस्से की कोशिकाएं मर जाती हैं. इसलिए कई बार जब शरीर का अंग दबा हुआ या असक्रिय होता है तो शरीर के उस अंग में सुन्नता का अहसास होता है. इसलिए जब भी किसी अंग में सुन्नता का एहसास हो तो समझ लेना चाहिए की वहां ऑक्सीजन का संचार नहीं हो रहा है.
ताज़ी वायु से कम समय में विश्राम - जब हम खुली छत के नीचे सोते हैं तो कम समय में ही नींद से संतुष्टि मिल जाती है क्यूंकि जब हम खुली छत के नीचे सोते हैं तो फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन की प्राप्ति नियमित रूप से होती रहती है. और शरीर कम समय में ही ताज़गी का अनुभव करने लगता है और थकान से मुक्त हो जाता है. वहीँ बंद कमरे में सोने पर देर तक सोने के बाद भी उठने की इच्छा नहीं होती और थकावट व् सुस्ती का एहसास होता है.उपरोक्त उदाहरण यह समझने के लिए पर्याप्त है की शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में शुद्ध वायु का कितना महत्त्व है.

फेफड़े कैसे काम करते हैं?
श्वसन को प्रायः हम श्वास लेना व् छोड़ना समझते हैं लेकिन श्वसन चार भाग में होता है :-
१) वायुमंडल से ऑक्सीजन को नासिका के माध्यम श्वास नाली से होते हुए फेफड़ों तक पहुँचाना तथा कार्बन डाइऑक्सइड को फेफड़ों के माध्यम से शरीर से बाहर निकालना.
२) फेफड़ों से ऑक्सीजन को रक्त में भेजना व् कार्बन डाइऑक्सइड को रक्त से लेकर वायुमंडल में छोड़ना.
३) फेफड़ों में शुद्ध हुए रक्त को ह्रदय की ओर ले जाना.
४) श्वसन प्रक्रिया पर नियंत्रण करना.
कैसे बढ़ाएं अपने फेफड़ों की कार्यक्षमता - स्वस्थ शरीर की सबसे पहली आवश्यकता है की शरीर के फेफड़े स्वस्थ वातावरण में अपनी पूर्ण कार्य क्षमता से कार्य करें. फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ने के लिए श्वास की क्रियाएं व् प्राणायाम के अभ्यास बहुत ही लाभदायक होते हैं. श्वास की क्रियाएं व् प्राणायाम के नियमित अभ्यास से फेफड़ों की कार्यक्षमता में अपार वृद्धि होती है. इसके साथ ही प्राणायाम के अभ्यास से मन को भी शांत किया जा सकता है जिससे परोक्ष रूप से फेफड़ों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है. इन क्रियाओं और प्राणायाम को प्रातःकाल या सायं काल खाली पेट ही करना चाहिए.
फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए वज़न नियंत्रित करें - फेफड़ों के श्रेष्ठ स्वास्थ्य के लिए संतुलित वज़न का होना बहुत आवश्यक होता है. पेट का अत्यधिक बढ़ा हुआ वज़न फेफड़ों व् ह्रदय की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल कर फेफड़ों की कार्यक्षमता को कम करता है क्यूंकि इससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है. इसीलिए आज मोठे लोगों में स्लीप एप्निआ (sleep apnea ) नामक रोग की वृद्धि हो रही है. अर्थात शरीर के वज़न को आदर्श स्तर पर रखने से शरीर को ही नहीं बल्कि फेफड़ों को भी सुरक्षित स्वास्थ्य प्रदान किया जा सकता है.

फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए मेग्नेशियम युक्त आहार का सेवन करें - फेफड़ों के श्रेष्ठ स्वास्थ्य के लिए मैग्नेसियम बहुत आवश्यक है. कफ जनित रोग होने पर आहार में मैग्नेसियम युक्त तत्वों का सेवन बढ़ने से लाभ होता है. मेग्नेशियम साबुत अनाज, हरी सब्ज़ियों विशेष तौर पर पालक, सूखे मेवे , खड़े मुंग, खड़े मोथ व् समस्त फलियों में पाया जाता है.
क्षारीय आहार का सेवन करें - यदि फेफड़ों को स्वस्थ बनाना है तो आहार में क्षारीय तत्वों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए. ताज़े मौसमी फलों व् सब्ज़ियों में पर्याप्त मात्रा में क्षार होता है. खट्टे फल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, टमाटर, जामुन को अपने आहार में शामिल करना चाहिए. अंकुरित अनाज, ब्रोक्कोली, गाजर, सरसों की भाजी, मूली, कद्दू, अंजीर, तिल्ली, बादाम व् सेबफल का सेवन कफ जनित रोगों में लाभ देता है. प्रति सप्ताह ५ सेबफल का सेवन फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है. इसके साथ ही अनेक प्रकार के रंगों के फल व् सब्जियों का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर को पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व प्राप्त हो सके. इसके अतिरिक्त आहार में अंगूर का पर्याप्त सेवन करना चाहिए. इसी तरह स्वस्थ फेफड़ों की क्षमता के लिए किशमिश का सेवन अवश्य करना चाहिए. अलसी का सेवन करने से शरीर को ओमेगा ३ की प्राप्ति होती है तथा इसके सेवन से फेफड़ों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है. ओमेगा ३ की प्राप्ति अलसी के अलावा अखरोट का सेवन करने से भी होती है.
 नमक का सेवन कम करें - आहार में अत्यधिक नमक का सेवन शरीर में सूजन बढ़ने के साथ-साथ फेफड़ों को भी रोग का शिकार बनता है. नमक का सेवन शरीर का वज़न भी बढ़ता है.
* पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें

* प्रदुषण से बचें - जो व्यक्ति सिगरेट का सेवन करते हैं और निरंतर वायु प्रदूषित पर्यावरण में रहते हैं उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता में निरंतर कमी आती है. इसलिए सिगरेट के सेवन से बचना चाहिए तथा प्रदूषित वातावरण में जाने के पहले कपडे से नाक को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.कफ व् कफ जनित रोगों से सुरक्षित रखने के लिए, ठंडी हवा से शरीर को सुरक्षित रखने के लिए नाक व् सिर को कपडे से ढक कर सुरक्षा प्रदान करना चाहिए.
फेफड़े शरीर के स्वस्थ बने रहने में हमारे श्वसन तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. दूषित और विषाक्त पर्यावरण वैसे ही हमारे स्वास्थ्य को ग्रस रहा है उस पर हमारा गलत आहार-विहार और सही जीवन शैली सम्बन्धी हमारी अज्ञानता इसमें इजाफा कर रहे हैं.
शरीर मे ऑक्सीजन का स्तर 99% होना चाहिए, यह 96% से कम हो जाए तो व्यक्ति हाइपोऑक्सिया का शिकार हो जाता है। फेफड़ों के रोग होने पर सबसे पहले ऑक्सीजन का स्तर घटता है। हांफना, रक्त की कमी व कमजोरी इसके लक्षण हैं।
एक शोध में पाया गया कि सप्लीमेंट्री ऑक्सीजन (व्यायाम से मिली ऑक्सीजन) से ट्यूमर सेल्स को नष्ट किया जा सकता है। इसके लिए तले-भुने से परहेज करना चाहिए क्योंकि ये फेफड़ों पर कार्बनडाईऑक्साइड की अतिरिक्त परत बनाते हैं जिससे ऑक्सीजन फेफड़ों तक ठीक से पहुंच नहीं पाती। इसके लिए संतुलित आहार लें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

प्राणायाम + व्यायाम करें
नेचुरोपैथी विशेषज्ञ के अनुसार  प्राणायाम के साथ कार्डियो व्यायाम जैसे रनिंग, जॉगिंग, ब्रिस्क वॉक, साइक्लिंग या एरोबिक्स शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को सामान्य बनाए रखते हैं। इस दौरान व्यक्ति जल्दी-जल्दी सांस लेता और छोड़ता है जिससे फेफड़े सेहतमंद रहते हैं। रोजाना 45 मिनट का प्राणायाम + व्यायाम जरूर करें।

सुप्रभात/ Good morning


Thursday, 12 July 2018

राजा राम मोहन राय के अनमोल विचार/ Raja Ram Mohan Roy Ke Anmol Vachan

ज्ञान की ज्योति से मानव मन के अन्धकार को दूर किया जा सकता है।


प्रत्येक स्त्री को पुरूषों की तरह अधिकार प्राप्त हो, क्योंकि स्त्री ही पुरूष की जननी है. हमें हर हाल में स्त्री का सम्मान करना चाहिए।


ईश्वर केवल एक है. उसका कोई अंत नहीं सभी जीवित वस्तुओं में परमात्मा का अस्तित्व है।


हिन्दी में अखिल भारतीय भाषा बनने की क्षमता है।


यह व्यापक विशाल विश्वब्रह्म का पवित्र मन्दिर है, शुद्ध शास्त्र है. श्रद्धा ही धर्म का मूल है, प्रेम ही परम साधन है. स्वार्थों का त्याग ही वैराग्य है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम/ Anulom vilom pranayam

अनुलोम विलोम एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम है| इस प्राणायाम में सांस लेने की क्रिया को बार बार किया जाता है| अनुलोम का मतलब होता है सीधा और विलोम का मतलब होता है उल्टा। इस प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस को खींचते हैं, और बायीं नाक के छिद्र से सांस को बाहर निकालते है।
अनुलोम विलोम प्राणायम को नाड़ी शोधक प्राणायम के नाम से भी जाना जाता है| इस आसान को करने के लिए उम्र का बंधन नहीं है, हर उम्र के व्यक्ति इसका लाभ उठा सकते है| इसे नियमित रूप से करने पर शरीर की सारी नाडि़यां शुद्ध व निरोग रहती हैं। 

अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने का तरीका

किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जायें। पद्मासन सबसे उत्तम है, परंतु सिद्धासन या वज्रासन भी ठीक है अगर आप पद्मासन नहीं कर सकते। अगर नीचे बैठना मुमकिन ना हो तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं।
अपने दाहिने हाथ के अंगूठे के साथ दाहिने नथुने को बंद करें। बाएँ नथुने से धीरे - धीरे श्वास लें।
अब दाहिने नथुने को छोड़ दें, हाथ की रिंग फिंगर से बायें नथुने को बंद कर लें और दाहिने नथुने से श्वास छोड़ें। यह पूरा हुआ एक तरफ का क्रम।
शुरुआत में 2 मिनिट से ज़्यादा ना करें। समय के साथ साथ अवधि बढ़ायें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ-

- फेफड़े शक्तिशाली होते है।
- सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों से काफी हद तक बचाव होता है।
- हृदय बलवान होता है।

Wednesday, 11 July 2018

भीष्म पितामह के अनमोल वचन

1.परिवर्तन इस संसार का अटल नियम है, और सब को इसे स्वीकारना ही पङता है; क्योकी कोई इसे बदल नही सकता।


2. जो मनुष्य अपने माता-पिता की सेवा पुरे सद्भाव से करते है, उनकी ख्याति इस लोक मे ही नही बल्कि परलोक मे भी होती है।


3. मोह और तृष्णा अत्यन्त ही कठोर और विनाशकारी होते है।


4.एक शासक को अपने पुत्र और अपने प्रजा मे कोई भी भेदभाव नही रखना चाहिए; ये शासन मे अडिगता और प्रजा को समृध्दि प्रदान करता है।


5. मोह मे फंसकर अधर्म का प्रतिकार न करने के कारण ही महाभारत जैसे युध्द से महान जन-धन की हानि हुई।


6.अपने गुरु के प्रति आदर और प्रेम मनुष्य को विजयी और पुरुर्षाथी बनाती है।


7. धर्म के कई द्वार हैं, संतजन उन मार्गों या रास्तों की बात करते हैं जो उन्हें मालूम होता है लेकिन सभी मार्गों का आधार आत्म संयम है ।


8. कठिन परिस्तिथियाँ आना इस जीवन च्रक का नियम है। बिना विचलित हुए इनका सामना करना ही सफलता का द्वार है।


9.सत्य और धर्म अनुकरण करने पर एक लघु प्राणी चींटी भी हाथी से ज्यादा शक्तशाली हो जाता है।


10. बङे से बङा शूरवीर भी अगर अधर्म और अन्याय का साथ देता है तो धर्म के आगे उसे अन्ततः झुकना ही पङता है।


11.सत्ता सुख भोगने के लिए नही, अपितु कठिन परिश्रम करके समाज का कल्याण करने के लिए होता है।


12.एक मनुष्य को अपनी मातृभूमि सर्वोपरि रखनी चाहिए; और हर परिस्थत मे उसकी रक्षा करनी चाहिए।


13.समय अत्यधिक बलवान होता है, एक क्षण मे समस्त परिस्थितियाँ बदल जाती है।


14.विधि के विधान के आगे कोई नही टिक सकता । एक पुरुर्षाथी को भी वक्त के साथ मिट कर इतिहास बन जाना पङता है।


15.जिसे सत्य पर विश्वास होता है, और जो अपने संकल्प पर दृढ होता है, उसका सदैव कल्याण होता रहता है।


16. अपने आत्मबल, आत्म सार्मथ्य, विवेक, शालीनता और तेज से ही मनुष्य की पहचान होती है।

किसी की निंदा/ Kisi ki Ninda

"किसी की निंदा करने से यह पता चलता है कि आपका चरित्र क्या है, ना कि उस व्यक्ति का।"



Tuesday, 10 July 2018

श्री बालकृष्ण जी की आरती / Shri Balkrishna Ji Ki Aarti



आरती बालकृष्ण की कीजै |
अपनों जनम सुफल करि लीजै |
श्रीयशुदा को परम दुलारौ |
बाबा की अखियन कौ तारो ||
गोपिन के प्राणन को प्यारौ |
इन पै प्राण निछावरी कीजै |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||

बलदाऊ कौ छोटो भैया |
कनुआँ कहि कहि बोलत मैया |
परम मुदित मन लेत वलैया |
यह छबि नयननि में भरि लीजै |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||

श्री राधावर सुघर कन्हैया |
ब्रजजन कौ नवनीत खवैया |
देखत ही मन नयन चुरैया |
अपनौ सरबस इनकूं दीजे |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||

तोतरि बोलनि मधुर सुहावै |
सखन मधुर खेलत सुख पावै |
सोई सुकृति जो इनकूं ध्यावै |
अब इनकूं अपनों करि लीजै |
आरती बालकृष्ण की कीजै ||

आज के विचार/ Thoughts of the day

"मृत्यु के लिए बहुत रस्ते है पर जन्म के लिए केवल माँ है।"


There are many roads for death but there is only mother for birth.

Monday, 9 July 2018

प्राणायाम क्या है

योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम। 'प्राणस्य आयाम: इत प्राणायाम'। ''श्वासप्रश्वासयो गतिविच्छेद: प्राणायाम''-(यो.सू. 2/49)

भावार्थ : अर्थात प्राण की स्वाभाविक गति श्वास-प्रश्वास को रोकना प्राणायाम है।

प्राणायाम दो शब्दों के मेल से बना है: "प्राण" और "आयम"। प्राण का मतलब 'महत्वपूर्ण ऊर्जा' या 'जीवन शक्ति' है। प्राणायाम श्वास के माध्यम से यह ऊर्जा शरीर की सभी नाड़ियों में पहुँचाता है। "प्राणायाम" शब्द में "प्राण" के साथ "आयम" की संधि की गयी है। आयम का मतलब है विस्तार करना'। तो इसलिए "प्राणायाम" का सही मतलब है "प्राण का विस्तार करना"।

प्राणायाम के प्रकार -
प्राणायाम के कई प्रकार हैं  उसमे से कुछ प्रमुख हैं:

नाड़ी शोधन प्राणायाम
शीतली प्राणायाम
उज्जयी प्राणायाम
कपालभाती प्राणायाम
भास्त्रिका प्राणायाम
बाह्या प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम
उद्गित प्राणायाम
अनुलोम - विलोम प्राणायाम
अग्निसर क्रिया

प्राणायाम के लाभ -
प्राणायाम का अभ्यास तनाव, अस्थमा और हकलाने से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
प्राणायाम अवसाद के लिए भी चिकित्सिए है।प्राणायाम के अभ्यास से स्थिर मन, और दृढ़ इच्छा-शक्ति प्राप्त होती है।इसके अलावा नियमित रूप से प्राणायाम करने से लंबी आयु प्राप्त होती है।
आपके शरीर में प्राण शक्ति बढ़ाता है प्राणायाम।अगर आपकी कोई नाड़ी रुकी हुई हो दो उसे को खोल देता है।
मन को स्पष्टता और शरीर को सेहत प्रदान करता है।शरीर, मन, और आत्मा में तालमेल बनाता है।

Sunday, 8 July 2018

विन्ध्येश्वरी चालीसा/ Vindheshwari Chalisa

      

नमो नमो विध्येश्वरी ,नमो जगदम्बा
सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब ॥

जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जगबिदित भवानी॥
सिंह वाहिनी जय जगमाता। जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥
कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जय जय संत असुर सुरसेवी॥
महिमा अमित अपार तुम्हारी। सेष सहस मुख बरनत हारी॥
दीनन के दु:ख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी॥
सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे। सो तुरतहिं वांछित फल पावे॥
तू ही वैस्नवी तू ही रुद्रानी। तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी॥
रमा राधिका स्यामा काली। तू ही मात संतन प्रतिपाली॥
उमा माधवी चंडी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला॥
तुम ही हिंगलाज महरानी। तुम ही शीतला अरु बिज्ञानी॥
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता। दुर्गा दुर्ग बिनासिनि माता॥
तुम ही जाह्नवी अरु उन्नानी। हेमावती अंबे निरबानी॥
अष्टभुजी बाराहिनि देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥
चौसट्टी देवी कल्याणी। गौरि मंगला सब गुन खानी॥
पाटन मुंबा दंत कुमारी। भद्रकाली सुन विनय हमारी॥
बज्रधारिनी सोक नासिनी। आयु रच्छिनी विन्ध्यवासिनी॥
जया और विजया बैताली। मातु संकटी अरु बिकराली॥
नाम अनंत तुम्हार भवानी। बरनै किमि मानुष अज्ञानी॥
जापर कृपा मातु तव होई। तो वह करै चहै मन जोई॥
कृपा करहु मोपर महारानी। सिध करिये अब यह मम बानी॥
जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याणा॥
बिपत्ति ताहि सपनेहु नहि आवै। जो देवी का जाप करावै॥
जो नर कहे रिन होय अपारा। सो नर पाठ करे सतबारा॥
नि:चय रिनमोचन होई जाई। जो नर पाठ करे मन लाई॥
अस्तुति जो नर पढै पढावै। या जग में सो बहु सुख पावै॥
जाको ब्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूर पराई॥
जो नर अति बंदी महँ होई। बार हजार पाठ कर सोई॥
नि:चय बंदी ते छुटि जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई॥
जापर जो कुछ संकट होई। नि:चय देबिहि सुमिरै सोई॥
जा कहँ पुत्र होय नहि भाई। सो नर या विधि करै उपाई॥
पाँच बरस सो पाठ करावै। नौरातर महँ बिप्र जिमावै॥
नि:चय होहि प्रसन्न भवानी। पुत्र देहि ताकहँ गुन खानी॥
ध्वजा नारियल आन चढावै। विधि समेत पूजन करवावै॥
नित प्रति पाठ करै मन लाई। प्रेम सहित नहि आन उपाई॥
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढत होवै अवनीसा॥
यह जनि अचरज मानहु भाई। कृपा दृष्टि जापर ह्वै जाई॥
जय जय जय जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि पर जन जानी॥

श्री दुर्गा चालीसा/ Shri Durga Chalisa

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहू लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।।

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहूलोक में डंका बाजत।।

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु सब लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजे नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावे। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥


Namo Namo Durge Sukh Karani,
Namo Namo Ambe Dukh Harani.
Nirankar Hai Jyoti Tumhari
Tihun Lok Pheli Ujayari.

Shashi Lalat Mukh Maha Vishala,
Netra Lal Brikuti Vikrala.
Roop Matu Ko Adhika Suhave,
Daras Karat Jan Ati Sukh Pave.

Tum Sansar Shakti Laya Kina,
Palan Hetu Anna Dhan Dina.
Annapurna Hui Jag Pala,
Tumhi Adi Sundari Bala.

Pralaya Kal Sab Nashan Hari,
Tum Gauri Shiv Shankar Pyari.
Shiv Yogi Tumhare Gun Gave,
Brahma Vishnu Tumhe Nit Dhyaven.

Roop Saraswati Ko Tum Dhara,
De Subudhi Rishi Munin Ubara
Dharyo Roop Narsimha Ko Amba,
Pragat Bhayin Phar Kar Kamba.

Raksha Kari Prahalad Bachayo,
Hiranakush Ko Swarg Pathayo.
Lakshmii Roop Dharo Jag Mahi,
Shree Narayan Ang Samahi

Ksheree Sindhu Karat Vilasa,
Daya Sindhu Deejay Man Aasa
Hingalaj Mein Tumhi Bhavani,
Mahima Amit Na Jaat Bakhani

Matangi Dhoomavati Mata,
Bhuvneshwari Bagala Sukhdata
Shree Bairav Tara Jog Tarani,
Chin-Na Bhala Bhav Dukh Nivarani.

Kehari Vahan Soh Bhavani,
Langur Veer Chalat Agavani
Kar Men Khappar Khadag Viraje,
Jako Dekh Kal Dar Bhaje.

Sohe Astra Aur Trishoola,
Jase Uthata Shatru Hiya Shoola
Nagarkot Mein Tumhi Virajat,
Tihun Lok Mein Danka Bajat

Shumbhu Nishumbhu Danuja Tum Mare,
Rakta-Beeja Shankhan Samhare.
Mahishasur Nripa Ati Abhimani,
Jehi Agha Bhar Mahi Akulani

Roop Kaaral Kalika Dhara,
Sen Sahita Tum Tin Samhara
Pari Garha Santan Par Jab Jab,
Bhayi Sahaya Matu Tum Tab Tab

Amarpuri Aru Basava Loka,
Tava Mahima Sab Rahen Asoka
Jwala Mein Hai Jyoti Tumhari,
Tumhen Sada Pujan Nar Nari

Prem Bhakti Se Jo Yash Gaye,
Dukh-Daridra Nikat Nahin Ave
Dhyave Tumhen Jo Nar Man Laee,
Janam-Maran Tako Chuti Jaee.

Jogi Sur-Muni Kahat Pukari,
Jog Na Ho Bin Shakti Tumhari
Shankar Aacharaj Tap Keenhon,
Kam, Krodh Jeet Sab Leenhon

Nisidhin Dhyan Dharo Shanker Ko,
Kahu Kal Nahin Sumiron Tum Ko
Shakti Roop Ko Maram Na Payo,
Shakti Gayi Tab Man Pachitayo

Sharnagat Hui Keerti Bakhani,
Jai Jai Jai Jagdamb Bhavani
Bhayi Prasanna Aadi Jagdamba,
Dayi Shakti Nahin Keen Vilamba

Mokun Matu Kashta Ati Ghero,
Tum Bin Kaun Hare Dukh Mero
Asha Trishna Nipat Sataven,
Moh Madadik Sab Binsaven

Shatru Nash Keeje Maharani,
Sumiron Ekachita Tumhen Bhavani
Karo Kripa Hey Matu Dayala
Riddhi-Siddhi De Karahu Nihala

Jab Lagi Jiyoon Daya Phal Paoon,
Tumro Yash Mein Sada Sunaoon,
Durga Chalisa Jo Gaye,
Sab Sukh Bhog Parampad Pave

Devidas Sharan Nij Jani,
Karahu Kripa Jagdamb Bhavani.

Saturday, 7 July 2018

ध्यान/ Meditation

      ध्यान एक क्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। ध्यान का उद्देश्य कोई लाभ प्राप्त करना हो सकता है या ध्यान करना अपने-आप में एक लक्ष्य हो सकता है। अलग-अलग सन्दर्भों में 'ध्यान' के अलग-अलग अर्थ हैं।

महर्षि पतंजलि के अनुसार -
चित्त को एकाग्र करके किसी एक वस्तु पर केन्द्रित कर देना ध्यान कहलाता है। प्राचीन काल में ऋषि मुनि भगवान का ध्यान करते थे। ध्यान की अवस्था में ध्यान करने वाला अपने आसपास के वातावरण को तथा स्वयं को भी भूल जाता है। ध्यान करने से आत्मिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। जिस वस्तु को चित में बांधा जाता है उस में इस प्रकार से लगा दें कि बाह्य प्रभाव होने पर भी वह वहाँ से न हट सके, उसे ध्यान कहते है।

ध्यान से लाभ -
ऐसा पाया गया है कि ध्यान से बहुत से मेडिकल एवं मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं।

बेहतर स्वास्थ्य  -
शरीर की रोग-प्रतिरोधी शक्ति में वृद्धि
रक्तचाप में कमी
तनाव में कमी
स्मृति-क्षय में कमी (स्मरण शक्ति में वृद्धि)
वृद्ध होने की गति में कमी

उत्पादकता में वृद्धि -
मन शान्त होने पर उत्पादक शक्ति बढती है; रचनात्मक कार्यों में यह विशेष रूप से लागू होता है।

आत्मज्ञान की प्राप्ति -
ध्यान से हमे अपने जीवन का उद्देश्य समझने में सहायता मिलती है। इसी तरह किसी कार्य का उद्देश्य एवं महत्ता का सही ज्ञान हो पाता है।
छोटी-छोटी बातें परेशान नहीं करतीं

ध्यान कैसे लगाया जाये?

   


शांत दिमाग और बैठने की सही तकनीक अपनाकर आप ध्यान लगा सकते हैं।
ध्यान करने के लिए सबसे पहले एक ऐसी जगह पर बैठे जो आरामदायक हो और शोर से दूर हो। आपको जिस तरीके से बैठना अच्छा लगे वैसे बैठ जाए। आप कुर्सी पर बैठ सकते है और जमीन पर दोनों पैरों की प्लाथी मार कर भी बैठ सकते है।
बैठने के बाद अपने दोनों आँखे बंद कर ले। आँखे बंद करके आठ से दस बार लंबी और गहरी साँस ले फिर धीरे धीरे सांस छोड़े। अब आप अंतर्मन की आवाज़ पर ध्यान लगायें। शुरु में अगर आवाज़ सुनाई ना दे तो कोई बात नहीं आप प्रयास करते रहे। निरंतर और सही तरीके से प्रयास करने पर कुछ समय में आपको आवाज सुनाई देने लगेगी।
        ध्यान करने के लिए म्यूज़िक का सहारा भी ले सकते है या फिर किसी मंत्र का जाप करके मंत्र की ध्वनि पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं

Friday, 6 July 2018

लाला लाजपत राय के अनमोल विचार

1- सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ हानि की चिंता किये बिना ईमानदार और साहसी होना चाहिए।

Satya ki upasana karte huye sansarik labh hani ki chinta kiye bina imandar aur saudi hona chahiye.


2 - वह समाज कदापि नहीं टिक सकता जो आज की प्रतियोगिता और शिक्षा के समय में अपने सदस्यों को प्रगति का पूरा पूरा अवसर प्रदान नहीं करता।

Vah samaj kadapi nahi tik sakta jo aaj ki pratiyogita aur shiksha ke samay me apne sadasyon ko pragati ka pura pura avasar pradan nahi karta.


3 - नेता वह है जिसका नेतृत्व संतोषप्रद और प्रभावशाली हो, जो अपने अनुयायियों से सदैव आगे रहता हो, जो निर्भीक और साहसी हो और उसकी निःस्वार्थता संदेह से परे हो।

Neta vah hai jiska netritv santoshprad aur prabhavashali ho, jo apne anuyayiyon se sadaiv aage rahta ho, jo nirbhik aur sahsi ho aur uski nihswarthata sandeh se pare ho.


4 - देशभक्ति का निर्माण सत्य और न्याय की दृढ़ चट्टान पर ही किया जा सकता है।

Deshbhakti ka nirman satya aur nyaay ki dridh chattan par hi kiya ja sakta hai.


5 - एक हिन्दू के लिये नारी लक्ष्मी, सरस्वती और शक्ति का मिला -जुला रूप होती है अर्थात वह उस सबका आधार है।

Ek hindu ke liye nari lakshmi, saraswati aur shakti ka mila - jula rup hoti hai arthat vah us sabka aadhar hai.


6 - अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जबतक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्माण के लिये कार्य न किया जाये।

Ateet ko dekhte rahna vyarth hai, jabtak us ateet par garv karne yogya bhavishya ke nirman ke liye kary na kiya jaye.


7 - सार्वजनिक जीवन में अनुशासन को बनाये रखना और उसका पालन करना बहुत आवश्यक है, अन्यथा प्रगति के मार्ग में बाधा खड़ी हो जायेगी।

Sarvjanik jeevan me anushasan ko banaye rakhna aur uska palan karna bahut aavashyak hai, anyatha pragati ke marg me badha khadi ho jayegi.


8 - असफलता और पराजय कभी- कभी विजय की ओर आवश्यक कदम होते हैं।

Asafalta aur parajay kabhi - kabhi vijay ki aor aawashyak kadam hote hain.


9 - पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ शांतिपूर्ण साधनों से उद्धेश्य पूरा करने के प्रयास को ही अहिंसा कहते हैं।

Puri nishtha aur imandari ke sath shanti purn sadhna se uddeshy pura karne ke prayas ko hi ahinsa kahte hain.


10 - दूसरों पर विश्वास न रखकर स्वयं पर विश्वास रखो। आप अपने ही प्रयत्नों से सफल हो सकते हैं, क्योंकि राष्ट्रों का निर्माण अपने ही बलबूते पर होता है।

Dusro par vishwas na rakhkar svayn par vishwas rakho. Aap apne hi prayatno se safal ho sakte hain, kyonki rashtro ka nirman apne hi balbute par hota hai.


11 - त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है।

Trutiyon ke sanshodhan ka naam hi unnati hai.


12 - जीवन वास्तविक है, मूल्यवान है, कर्मण्य है और अमूल्य है। इसका आदर हो, इसे दीर्घ बनाये रखना चाहिए और इससे आनंद उठाना चाहिए।

Jeevan vastvik hai, mulyan hai, karmany hai aur amulya hai. Iska aadar karo, ise deergh banaye rakhna chahiye aur isse aanand uthana chahiye.