वो चेहरा मुझको भाता है,
मेरे तन-मन और रोम-रोम में
जो उत्साह जगाता है,
वो चेहरा मुझको भाता है,
जब आया था दुनिया में,
तब सिर्फ उसी का सहारा था,
मेरे सुख - दुःख का ख्याल किया,
मुझको खूब संवारा था,
मेरा हाथ पकड़ कर अंगना में,
चलना उसने ही सिखाया था,
अच्छे और बुरे का मुझको,
ज्ञान उसी ने कराया था,
न जाने कितने व्रत उपवास,
किये है उसने मेरी खातिर,
खुद भूखी सोई होगी वह,
पर मुझको खूब खिलाया था,
मेरे रग - रग को जिसने,
अपने संस्कारो से किया सिंचित,
विक्रान्त कैसे भूले उस माँ को,
जिनसे इस दुनिया को पहचाना है,
जीवन में लगते ठोकर से,
माँ की दुआओ ने ही बचाया है,
जब भी राहों में उलझा हूँ,
तब राह भी माँ ने दिखाया है,
इसलिए माँ का चेहरा मुझको भाता है,
मेरे तन- मन और रोम- रोम में,
वह ही उत्साह जगाता है,
माँ का चेहरा मुझको भाता है।
मेरे तन-मन और रोम-रोम में
जो उत्साह जगाता है,
वो चेहरा मुझको भाता है,
जब आया था दुनिया में,
तब सिर्फ उसी का सहारा था,
मेरे सुख - दुःख का ख्याल किया,
मुझको खूब संवारा था,
मेरा हाथ पकड़ कर अंगना में,
चलना उसने ही सिखाया था,
अच्छे और बुरे का मुझको,
ज्ञान उसी ने कराया था,
न जाने कितने व्रत उपवास,
किये है उसने मेरी खातिर,
खुद भूखी सोई होगी वह,
पर मुझको खूब खिलाया था,
मेरे रग - रग को जिसने,
अपने संस्कारो से किया सिंचित,
विक्रान्त कैसे भूले उस माँ को,
जिनसे इस दुनिया को पहचाना है,
जीवन में लगते ठोकर से,
माँ की दुआओ ने ही बचाया है,
जब भी राहों में उलझा हूँ,
तब राह भी माँ ने दिखाया है,
इसलिए माँ का चेहरा मुझको भाता है,
मेरे तन- मन और रोम- रोम में,
वह ही उत्साह जगाता है,
माँ का चेहरा मुझको भाता है।
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