Friday, 31 May 2019

आगे ही अब बढ़ते जाओ

चल पड़े हो अगर बाबा तो, 
आगे ही अब बढ़ते जाओ, 
सोई हुई इस जनता को, 
अब फिर से जीना सिखलाओ, 
बहुत हो चुकी बर्बादी, 
इंसान जला सामान जला, 
श्मसान हो चुके गाँव- नगर को, 
फिर से नगर बना दो बाबा, 
अत्याचारी को सदाचार का, 
अब पाठ पढ़ा दो बाबा, 
अन्तरमन में दबी चिंगारी को, 
अब आग बनाओ जल्दी से, 
अत्याचार का अन्त करके, 
इंसान को इंसान बनाओ जल्दी से, 
धर्म का ऐसा हुँकार करो, 
जो जन- जन को दिखाई और सुनाई दे, 
जन - जन के भीतर का पाप मरे, 
बस इंसान ही इंसान दिखाई दे, 
अब इंसान को इंसान बना दो बाबा, 
जीना सबको सिखा दो बाबा।।

दिल चुराती हो मेरा/ Dil Churati Ho Mera

आती हो जब तुम सामने 
तो दिल मचल जाता है मेरा 
देखती हो जब पलकें उठाके 
तो दिल ठहर जाता है मेरा 
देखकर हो जब मुस्कुराती 
तो दिल बहक जाता है मेरा 
देखती हो जब तिरछी नजर से 
दिल घायल हो जाता है मेरा 
शरमा के हो जब नजरें झुकाती 
तो दिल चुराती हो मेरा।

Saturday, 18 May 2019

चलो दूरी मिटायें हम/ Chalo Duri Mitaye Hum

जब से तुमसे मिला हूँ मैं,
तेरी यादों में खोया हूँ,
उस दिन के सारे लम्हों को,
अपने दिल में बसाया हूँ,
सोचता हूँ तुमसे मिलकर,
बतलाऊँ अपनी हालात मैं,
या आंखों से सारी बात करूँ,
मुँह से कुछ भी न बोलू मैं,
हर लम्हा तुमसे मिलने की,
आस में मेरा बीत रहा,
क्या बोलूंगा तुमसे मिलकर,
हर पल विक्रान्त ये सोच रहा,
छोड़ो मेरी इस हालत को,
अपनी कहो तुम कैसी हो,
 नींद समय पर आती है,
या तड़प रही मेरे जैसी हो,
अगर हालत मेरे जैसे है,
तो चलो दूरी मिटाये हम,
मिलें जो अगली बार कभी,
तो एक दूजे में खो जायें हम।




Jab se tumse mila hun mai, 
Teri yaadon me khoya hun, 
Us din ke sare lamho ko, 
Apne dil me basaya hun, 
Sochta hun tumse milkar, 
Batlau apni halat mai, 
Ya aankho se sari baat karu, 
Muh se kuchh bhi na bolu mai,
Har lamha tumse milne ki, 
Aas me mera beet raha, 
Kya bolunga tumse milkar,
Har pal VIKRANT ye soch raha,
Chhodo meri is halat ko, 
Apni kaho tum kaisi ho, 
Need samay par aati hai, 
Ya tadap rahi meri jaisi ho, 
Agar halat mere jaise hain, 
To chalo duri mitaye hum,
Mile jo agli baar kabhi, 
Ek duje me kho jaye hum.

बहुत याद तुम्हारी आती है!/ Bahut yaad tumhari aati hai

बहुत याद तुम्हारी आती है,
जब घर में अकेला होता हूँ,
तन्हाई में जब खोता हूँ,
हो जाता हूँ बेचैन जब मैं
तब याद तुम्हारी आती है।

जब दो युगल प्रेमी को देखता हूँ,
तुम्हारी यादो में खोता हूँ,
भूल जाता हूँ दुनिया को मैं,
केवल याद तुम्हारी आती है।

न चाह कर भी तुमसे दूर हूँ मैं,
दुनियादारी में मजबूर हूँ मैं,
विक्रान्त जल्दी आएगा पास तेरे,
क्योंकि बहुत याद तुम्हारी आती है।
बहुत याद तुम्हारी आती है।

Bahut yaad tumhari aati hai, 
Jab ghar me akela hota hun, 
Tanhai me jab khota hun, 
Ho jata hun bechain jab mai, 
Tab yaad tumhari aati hai,

Jab do yugal premi ko dekhta hun, 
Tumhari yaadon me khota hun, 
Bhul jata hun duniya ko mai, 
Keval yaad tumhari aati hai,

Na chah kar bhi tumse dur hun mai, 
Duniyadari me majbur hun mai, 
Vikrant jaldi aayega paas tere, 
Kyuki yaad tumhari aati, 
Bahut yaad tumhari aati hai.

माँ का चेहरा मुझको भाता है।



वो चेहरा मुझको भाता है,
मेरे तन-मन और रोम-रोम में
जो उत्साह जगाता है,
वो चेहरा मुझको भाता है,
जब आया था दुनिया में,
तब सिर्फ उसी का सहारा था,
मेरे सुख - दुःख का ख्याल किया,
मुझको खूब संवारा था,
मेरा हाथ पकड़ कर अंगना में,
चलना उसने ही सिखाया था,
अच्छे और बुरे का मुझको,
ज्ञान उसी ने कराया था,
न जाने कितने व्रत उपवास,
किये है उसने मेरी खातिर,
खुद भूखी सोई होगी वह,
पर मुझको खूब खिलाया था,
मेरे रग - रग को जिसने,
अपने संस्कारो से किया सिंचित,
विक्रान्त कैसे भूले उस माँ को,
जिनसे इस दुनिया को पहचाना है,
जीवन में लगते ठोकर से,
माँ की दुआओ ने ही बचाया है,
जब भी राहों में उलझा हूँ,
तब राह भी माँ ने दिखाया है,
इसलिए माँ का चेहरा मुझको भाता है,
मेरे तन- मन और रोम- रोम में,
वह ही उत्साह जगाता है,
माँ का चेहरा मुझको भाता है।

Thursday, 16 May 2019

जीवन जीना सीख लिया

एक लड़की आई बीवी बनकर,
तो उसका तरीका मैंने सीख लिया,
समय पर उठना, खाना-पीना,
समय पर सोना सीख लिया,
पर माँ के संस्कारो को,
हम भुला नहीं सकते,
इन्ही संस्कारो से तो,
मैंने हर किसी को अपनाना सीख लिया,
बीवी है कौन, और जीवन में होती है क्या,
ये मुझे बताया माँ ने मेरी,
जीवन के सुख दुःख में,
मैंने हर पल खुश रहना सीख लिया,
बीवी का जो साथ मिले तो,
घर में खुशहाली आये,
साल में एक बार नहीं,
हर दिन दीवाली आये,
घर में सोच समझकर बात करो,
तो सारा रिश्ता चल जाता है,
माँ की बात मान कर विक्रान्त ने,
खुद पर संयम रखना सीख लिया,
माँ के दिए ज्ञान से मैंने
दुनिया में रहना सीख लिया,
मैंने जीवन जीना सीख लिया।

आजमाने चलेंगे

एक दिन किसी ने यूँ ही सोचा,
        प्यार को आजमाने चलेंगे।
प्यार है या है कोई दिखावा,
        इसका पता हम लगाने चलेंगे।
कर लिया दिल में पक्का इरादा,
         अन्त में घर से बाहर निकला।
जल्दी ही पहुँच गया पास उसके,
          जिसे   आजमाने   चले   थे।
साथ में दो कन्या को लेकर,
         उसके सामने से  जब गुजरा।
वो तड़प उठी देखकर ऐसे,
    मछली तड़पती है जल बिन जैसे।
तब से जब भी है वो मिलती,
         मुँह घुमाकर वो है निकलती।
न वो मुझसे कुछ है कहती,
          और न ही मेरा कुछ सुनती।
कोई उसको जाकर बताये,
        मेरे दुःख को उसे कोई सुनाये।
अपने प्यार को आजमा कर,
    कितना दुःखी हूँ ये कोई समझाये।
विक्रान्त का भाई ये है कहना,
          प्यार को न कभी आजमाना।
प्यार तो है भरोसे का नाम,
    इसको नहीं है आजमाने का काम।
प्यार पर जो न करते हैं भरोसा,
        प्यार में वह ही पाते हैं धोखा।
आज से कोई कभी न कहना,
       प्यार को आजमाने चलेंगे।।

Tuesday, 7 May 2019

भगवान परशुराम जी की जीवनी

www.hindihaat.com से साभार
भगवान परशुराम जी की जीवनी
भगवान परशुराम भारत की ऋषि परम्परा के महान वाहक थे. उनका शस्त्र और शास्त्र दोनों पर समान अधिकार था. वे भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. उनका प्रभाव त्रेता युग से शुरू होकर द्वापर तक जाता है. उनका जीवन एक आदर्श पुरूष का जीवन था.

भगवान परशुराम का जन्म 

भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका थी. पौराणिक आख्यान के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म पुत्रेष्ठि यज्ञ के बाद देवराज इंद्र के वरदान के बाद हुआ था. परशुराम जी का जन्म वैशाख शुक्ल की तृतीया को हुआ. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम की जयन्ती मनाई जाती है. उनके पितामह भृगु ने उनका नाम अनन्तर राम रखा जो शिव द्वारा दिए गए अस्त्र परशु को धारण करने की वजह से परशुराम हो गया.

परशुराम जीवन परिचय

परशुराम जी शिक्षा-दिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं महर्षि ऋचीक के आश्रम में हुई. महर्षि ऋचीक तो अपने शिष्य की योग्यता से इतने प्रसन्नत हुए कि उन्होंने परशुराम जी को सांरग धनुष उपहार में दिया. उनकी प्रतिभा और दैवीय गुणों से प्रभावित होकर ऋषि कष्यप ने उन्हें अविनाशी वैष्णव मंत्र प्रदान किया. भगवान शंकर की उन्होंने अराधना की और शिव ने उन्हें विद्युदभि नाम का परशु प्रदान किया. भगवान शिव से उन्हें त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्रोत और कल्पतरू मंत्र भी प्राप्त हुआ.

गुरू परशुराम

परशुराम ने जी ने अपनी अद्भुत शस्त्र विद्या से समकालीन कई गुणवान षिष्यों को युद्ध कला में पारंगत किया. उनके सबसे योग्य शिष्य गंगापुत्र भीष्म रहे जिन्हें पूरा भारत आदर की दृष्टि से देखता है. इसके अलावा द्रोण और कर्ण भी  उनके षिष्य थे.
भगवान परशुराम का उल्लेख दोनो महान भारतीय महाकाव्यों रामायण और गीता में मिलता है. तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस में उनके और लक्ष्मण के बीच हुआ संवाद बहुत पठनीय और लोकप्रिय है.
परशुराम जी की पूजा पूरे भारत में होती है. हर वर्ग उनको पूजनीय मानता है. एक मान्यता के अनुसार भारत के ज्यादातर गांव परशुराम जी ने ही बसाए थे. पूरे उत्तर भारत से लेकर गोवा, केरल और तमिलनाडु तक आपको परशुराम जी की प्रतिमा के दर्शन होंगे.

परशुराम जी और क्षत्रियों का विनाश

परशुराम जी ने 21 बार इस पृथ्वी को क्षत्रियों से विहिन किया, ऐसी मान्यता है. इस कथा के अनुसार हैहय वंश के राजा सहस्त्रार्जुन या कार्तवीयअर्जुन ने घोर तपस्या की और भगवान दत्तात्रेय को प्रसन्न कर लिया. भगवान दत्तात्रेय ने उसे एक हजार भुजाए और युद्ध में अपराजित होने का वरदान दे दिया.
एक बार राजा सहस्त्रार्जुन वन में आखेट करता हुआ अपनी सेना के साथ ऋषि जमदग्नि के आश्रम पहुंचा. वहां उसने ऋषि की कामधेनू गाय को देखा तो उसने बलपूर्वक उसे जमदग्नि से छीन ले गया. इस बात का पता जब परशुराम को चला तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन को युद्ध के लिए ललकारा और उसकी सभी भुजाओं को अपनी फरसे से काट डाला और उसका वध कर दिया.
सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने इसका प्रतिशोध लेने के लिए परशुराम जी की अनुपस्थिति में महर्षि जमदग्नि के आश्रम पर आक्रमण कर दिया और जमदग्नि की हत्या कर दी. परशुराम जी की माता रेणुका भी अपने पति के साथ सती हो गई.
कुपित परशुराम ने हैहयवंशीय राजा के महिष्मति नगर पर आक्रमण कर सभी क्षत्रियों का विनाश कर दिया. अपने क्रोध को शांत करने के लिए उन्होंने इस पृथ्वी को 21 बार क्षत्रिय विहिन कर दिया.

भगवान परशुराम जी की कथाएं

परशुराम जी की अनेक कथाएं प्रचलित है. एक कथा के अनुसार उन्होंने भगवान गणेश के साथ भी युद्ध किया और इस घोर युद्ध में उनके फरसे से भगवान गणेष का एक दांत टूट गया और वे एक दंत कहलाए.
राम और परशुराम की कथा रामायण में आती है, जब भगवान राम ने सीता स्वयंवर के दौरान शिव का धनुष भंग किया तब परशुराम जी और लक्ष्मण जी के बीच विवाद हुआ. भगवान राम ने क्षमा याचना और अपने मीठे शब्दों से उनका क्रोध शांत किया. एक कथा के अनुसार भगवान राम को उनका धनुष परशुराम जी ने ही प्रदान किया था।

परशुराम की प्रतिज्ञा

महाभारत में भी परशुराम जी की कथा कई बार आती है, जिनमें से दो कथाएं बहुत प्रसिद्ध है. एक कथा भीष्म के साथ उनके युद्ध की है. परशुराम जी ने राजकुमारी अंबा को न्याय दिलवाने के लिए भीष्म के साथ घोर युद्ध किया लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला और आखिर में वे अंबा को न्याय नहीं दिलवा सके तो उन्होंने शपथ ली कि वे भविष्य में किसी भी क्षत्रिय को युद्ध कला की शिक्षा नहीं देंगे.
महाभारत की दूसरी प्रमुख कथा कर्ण की है. जब कर्ण को उन्होंने अपना शिष्य बनाया और कर्ण की वास्तविकता जानने के बाद उसे श्राप दिया कि जब उसे उनकी शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत होगी तभी वह इस शिक्षा को भूल जाएगा।

भगवान परशुराम और कल्कि अवतार

हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम जी कलियुग में अवतार लेने वाले कल्कि अवतार के भी गुरू बनेंगे और भगवान विष्णु के दसवें अवतार को युद्ध कौशल की शिक्षा देंगे।

भगवान परशुराम की शिक्षा

भगवान परशुराम को उनकी पितृभक्ति के लिए जाना जाता है. उनकी शिक्षा है कि माता-पिता का आदर सर्वोच्च है.भगवान परशुराम प्रकृति पोषक थे और प्रकृति का किसी भी प्रकार का विरोध करना वे ईष्वर का विरोध मानते थे.महिला का सम्मान एक सद्पुरूष के लिए अनिवार्य गुण मानते थे और इसी वजह से अंबा का सम्मान लौटाने के लिए अपने सबसे प्रिय शिष्य भीष्म के साथ युद्ध किया।

परशुराम के अन्य नाम

परशुराम जी को अन्नतर राम, जमदग्नि के पुत्र होने के कारण जामदग्न्य, गोत्र के कारण भार्गव और ब्राह्णश्रेष्ठ भी कहा जाता है.
परशुराम मंत्र
भगवान परशुराम मंत्र को परशुराम गायत्री मंत्र के नाम से भी जाना जाता है. इस मंत्र का विधिपूर्वक जप करने से मनुष्य को अपने दुखों से छुटकारा मिलता है और कठिनाइयों से लड़ने के लिए साहस का संचार होता है. मंत्र इस प्रकार है—

    ‘ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।’
    ‘ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।’
    ‘ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।’