Saturday, 30 June 2018

वल्लभभाई पटेल के अनमोल विचार/ Vallabhbhai Patel Quotes

1: जितना दुःख भाग्य में लिखा है, उसे भोगना ही पड़ेगा-फिर चिंता क्यों?

2: अगर आप आम के फल को समय से पहले ही तोड़ कर खा लेंगे, तो वह खट्टा ही लगेगा। 
लेकिन वहीँ आप उसे थोड़ा समय देते हैं तो वह खुद-ब-खुद पककर नीचे गिर जाएगा और 
आपको अमृत के समान लगेगा।

3: अगर आपके पास शक्ति की कमी है तो विश्वास किसी काम का नहीं क्योंकि महान 
उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शक्ति और विश्वास दोनों का होना जरूरी है।

4: अगर हमारी करोड़ों की दौलत भी चली जाए या फिर हमारा पूरा जीवन बलिदान हो जाए 
तो भी हमें ईश्वर में विश्वास और उसके सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।

5: अधिकार मनुष्य को तब तक अँधा बनाये रखेंगे, जब तक मनुष्य उस अधिकार को 
प्राप्त करने हेतु मूल्य न चुका दे।

6: अपने जीवन में हम जो कुछ कर पाते हैं, वह कोई बड़ी बात नहीं, जिसके लिए 
हम गुरुर कर सकें, क्योंकि जो कुछ हम करते हैं, उसमे हमारा क्या भाग है? 
असल में कराने वाला तो खुदा है।

7: अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।

8: आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

9: आत्मा को गोली या लाठी नहीं मार सकती, दिल के भीतर की असली चीज इस 
आत्मा को कोई हथियार नहीं छू सकता।

10: आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से 
लाल होने दीजिये और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये।

11: आपके घर का प्रबंध दूसरों को सौंपा गया हो तो यह कैसा लगता है- यह आपको 
सोचना है जब तक प्रबंध दूसरों के हाथ में है तब तक परतन्त्रता है और तब तक सुख नहीं।

12: आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

13: आलस्य छोडिये और बेकार मत बैठिये क्योंकि हर समय काम करने वाला अपनी 
इन्द्रियों को आसानी से वश में कर लेता है।

14: इंसान जितने सम्मान के लायक हो, उतना ही उसका सम्मान करना चाहिये, 
उससे अधिक नहीं करना चाहिये नहीं तो उसके नीचे गिरने का डर रहता है।

15: इस देश की मिट्टी में कुछ अलग ही बात है, जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद 
हमेशा महान आत्माओं की भूमि रही हैं।

16: ईश्वर का नाम ही (रामवाण) दवा है दूसरी सब दवाएं बेकार हैं वह जब तक 
हमें इस संसार में रखे, तब तक हम अपना कर्तव्य करते रहें जाने वाले का शोक न करें,
क्योंकि जीवन की डोर तो उसी के हाथ में है फिर चिंता की क्या बात याद रहे कि 
सबसे दुखी मनुष्य में भगवान का वास होता है वह महलों में नहीं रहता।

17: उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।

18: एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है, जब तक उसे ठीक तरह से 
सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए।

19: कठिन समय में कायर बहाना ढूढ़ते है तो वही बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते है।

20: कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है प्रेम तो प्रेम है 
माता को भी अपना काना-कुबड़ा बच्चा भी सुंदर लगता है और 
वह उससे असीम प्रेम करती है।

21: कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता अतः जब तक जीवित रहें और 
कर्तव्य करते रहें तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।

22: कल किये जाने वाले कर्म का विचार करते-करते आज का कर्म भी बिगड़ जाएगा 
और आज के कर्म के बिना कल का कर्म भी नहीं होगा, अतः आज का कर्म कर लिया जाये 
तो कल का कर्म स्वत: हो जाएगा कल हमें कोई मदद देने वाला है, इसलिए आज बेठे रहे, 
तो आज भी बिगड़ जाएगा, और कल तो बिगड़ेगा ही।

23: काम करने में तो मजा ही तब आता है, जब उसमे मुसीबत होती है मुसीबत में काम 
करना बहादुरों का काम है मर्दों का काम है कायर तो मुसीबतों से डरते हैं लेकिन 
हम कायर नहीं हैं, हमें मुसीबतों से डरना नहीं चाहिये।

24: कायरता का बोझा दूसरे पड़ोसियों पर रहता है अतः हमें मजबूत बनना चाहिए 
ताकि पड़ोसियों का काम सरल हो जाए।

25: किसी तन्त्र या संस्थान की पुनपुर्न: निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है 
और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है।

26: किसी राष्ट्र के अंतर में स्वतन्त्रता की अग्नि जल जाने के बाद वह दमन से नहीं 
बुझाई जा सकती स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भी यदि परतन्त्रता की दुर्गन्ध आती रहे 
तो स्वतन्त्रता की सुगंध नहीं फैल सकती।

27: कोशिश करना हमारा फर्ज है अगर हम अपने फर्ज को पूरा ना करें तो 
हम ईश्वर के गुनहगार बनते हैं।

28: गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।

29: चरित्र के विकास से बुद्धि का विकास तो हो ही जाएगा और लोगों पर छाप तो 
हमारे चरित्र की ही पडती है।

30: जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट 
सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये, यही सच्ची विजय है।

राज योग/ RAJYOG

राजयोग
         राजयोग सभी योगों का राजा कहलाता है राजयोग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग में राजयोग का 
वर्णन आता है। राजयोग का विषय चित्तवृत्तियों का निरोध करना है। महर्षि पतंजलि ने समाहित चित्त वालों के 
लिए अभ्यास और वैराग्य तथा विक्षिप्त चित्त वालों के लिए क्रियायोग का सहारा लेकर आगे बढ़ने का रास्ता 
सुझाया है। इन साधनों का उपयोग करके साधक के क्लेषों का नाश होता है

         प्रत्येक व्यक्ति में अनन्त ज्ञान और शक्ति का आवास है। राजयोग उन्हें जाग्रत करने का मार्ग प्रदर्शित करता है 
मनुष्य के मन को एकाग्र कर उसे समाधि नाम वाली पूर्ण एकाग्रता की अवस्था में पंहुचा देना। स्वभाव से ही मानव 
मन चंचल है। वह एक क्षण भी किसी वास्तु पर ठहर नहीं सकता। इस मन चंचलता को नष्ट कर उसे किसी प्रकार 
अपने काबू में लाना,किस प्रकार उसकी बिखरी हुई शक्तियो को समेटकर सर्वोच्च ध्येय में एकाग्र कर देना 
यही राजयोग का विषय है। जो साधक प्राण का संयम कर,प्रत्याहार,धारणा द्वारा इस समाधि अवस्था की प्राप्ति 
करना चाहते हे। उनके लिए राजयोग बहुत उपयोगी ग्रन्थ है।

              जब तक मनुष्य के चित्त में विकार भरा रहता है और उसकी बुद्धि दूषित रहती है, तब तक तत्त्वज्ञान 
नहीं हो सकता। राजयोग के अन्तर्गत महिर्ष पतंजलि ने अष्टांग को इस प्रकार बताया है-
१- यम 
२- नियम 
३- आसन 
४- प्राणायाम 
५- प्रत्याहार 
६- धारणा 
७- ध्यान
८- समाधि
            यह परमात्मा से संयोग प्राप्त करने का मनोवैज्ञानिक मार्ग है जिसमें मन की सभी शक्तियों को एकाग्र 
कर एक केन्द्र या ध्येय वस्तु की ओर लाया जाता है।

शनिदेव आरती/ Shani Dev Aarti

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेवभक्तन हितकारी।।


Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari
Sooraj Ke Putra Prabhu Chaya Mehtari
Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari !!

Shyama Ank Vakra Drisht Chaturbhurja Dhari
Neelamber Dhar Nath Gaj Ki Aswari
Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari !!

Krit Mukut Sheesh Sahej Dipat Hain Lilari
Muktan Ki Mala Gale Shobhit Balihari
Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari !!

Modak Mishtaan Pan Chadhat Hain Supari
Loha, Til, Urad Mahishi Ati Pyari
Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari !!

Dev Danuj Rishi Muni Surat Nar Nari
Vishwanath Dharat Dhayan Sharan Hain Tumhari
Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari !!

अम्बे तू है जगदम्बे काली/ Ambe Tu Hai Jagdambe Kali

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेर ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

तेर भक्त जानो पर मैया भीड़ पड़ी है भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी ।
सो सो सिंघो से है बलशाली,
है दस भुजाओं वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

माँ बेटे की है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।
सबपे करुना बरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।

नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना,
हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना ।
सब की बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतिओं के सत को सवारती ।

ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।



Ambe Tu Hai Jagdambe Kali
Jai Durge Khappar Wali
Tere Hi Gun Gaaye Bharati

O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti

Tere Jagat Ke Bhakt Janan Par Bhid Padi Hai Bhari Maa
Daanav Dal Par Toot Pado Maa Karke Singh Sawari
So So Singho Se Tu Bal Shali
Asth Bhujao Wali, Dushton Ko Pal Mein Sangharti
O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti

Maa Bete Ka Hai Ish Jag Mein Bada Hi Nirmal Nata
Poot Kaput Sune Hai Par Na Mata Suni Kumata
Sab Par Karuna Darshaney Wali, Amrut Barsaney Wali
Dukhiyon Ke Dukhdae Nivarti
O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti

Nahi Maangtey Dhan Aur Daulat Na Chaandi Na Sona Maa
Hum To Maangey Maa Tere Man Mein Ek Chota Sa Kona
Sab Ki Bigdi Banane Wali, Laaj Bachane Wali
Satiyo Ke Sat Ko Sanvarti
O Maiya, Hum Sab Utarey Teri Aarti

Friday, 29 June 2018

सुभाष चन्द्र बोस के अनमोल वचन/ Netaji Subhash Chandra Bose Ke Anmol Vachan

1-   तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा! 

2-  राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम् , शिवम्, सुन्दरम् से प्रेरित है।

3-  याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है

4-  इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन हासिल नहीं हुआ है।

5-  एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा - 
सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, 
जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। 
अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।

6-  एक सच्चे सैनिक को सैन्य और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रुरत होती है।

7-  प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिन्दी प्रचार से मिलेगी, दूसरी किसी चीज से नहीं।

8-  आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! 
एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके

कर्मयोग

कर्मयोग
         इस योग में कर्म के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति की जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता में कर्मयोग को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। 
गृहस्थ और कर्मठ व्यक्ति के लिए यह योग अधिक उपयुक्त है। हममें से प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी कार्य में लगा हुआ है,
पर हममें से अधिकांश अपनी शक्तियों का अधिकतर भाग व्यर्थ खो देते हैं; क्योंकि हम कर्म के रहस्य को नहीं जानते। 
जीवन की रक्षा के लिए, समाज की रक्षा के लिए, देश की रक्षा के लिए, विश्व की रक्षा के लिए कर्म करना आवश्यक है। 
किन्तु यह भी एक सत्य है कि दु:ख की उत्पत्ति कर्म से ही होती है। सारे दु:ख और कष्ट आसक्ति से उत्पन्न हुआ करते हैं। 
कोई व्यक्ति कर्म करना चाहता है, वह किसी मनुष्य की भलाई करना चाहता है और इस बात की भी प्रबल सम्भावना है 
कि उपकृत मनुष्य कृतघ्न निकलेगा और भलाई करने वाले के विरुद्ध कार्य करेगा।  इस प्रकार की घटना मनुष्य को 
कर्म से दूर भगाती है। यह दु:ख या कष्ट का भय कर्म और शक्ति का बड़ा भाग नष्ट कर देता है। 
       कर्मयोग सिखाता है कि कर्म के लिए कर्म करो, आसक्तिरहित होकर कर्म करो। कर्मयोगी इसीलिए कर्म करता है 
कि कर्म करना उसे अच्छा लगता है और इसके परे उसका कोई हेतु नहीं है। कर्मयोगी कर्म का त्याग नहीं करता 
वह केवल कर्मफल का त्याग करता है  वह जानता है कि वह दे रहा है और बदले में कुछ माँगता नहीं और इसीलिए 
वह दु:ख के चंगुल में नहीं पड़ता। वह जानता है कि दु:ख का बन्धन ‘आसक्ति’ की प्रतिक्रिया का ही फल हुआ करता है।
        गीता में कहा गया है कि मन का समत्व भाव ही योग है जिसमें मनुष्य सुख-दु:ख, लाभ-हानि, जय-पराजय, 
संयोग-वियोग को समान भाव से चित्त में ग्रहण करता है। कर्म-फल का त्याग कर धर्मनिरपेक्ष कार्य का सम्पादन भी 
पूजा के समान हो जाता है। संसार का कोई कार्य ब्रह्म से अलग नहीं है। इसलिए कार्य की प्रकृति कोई भी हो 
निष्काम कर्म सदा ईश्वर को ही समर्पित हो जाता है।

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन/ Shriramachandra kripalu bhaju man


श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं,
नवकंज लोचन, कंजमुख कर, कंज पद कंजारुणं. 
कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम,
पट पीत मानहु तडित रूचि-शुची नौमी, जनक सुतावरं. 
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंष निकन्दनं,
रघुनंद आनंद कंद कोशल चन्द्र दशरथ नंदनम. 
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभुशनम,
आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम-जित-खर दूषणं. 
इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि-मन-रंजनं,
मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं. 
मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरो, 
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो 
एही भांति गोरी असीस सुनी सिय सहित हिंय  हरषीं अली,
तुलसी भावानिः पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मंदिर चली. 

जानी गौरी अनुकूल, सिय हिय हरष न जात कहि,
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे.



                                   
Shriramachandra kripalu bhaju man haran bhav bhaya darunam,Navakanj lochan, kanjamukh ker, kanj ped kanjarunam.

Kandarp aganita amita chavinava neel neeraj sundaram,Pet peet manahu tadita ruchi shuchi noumi, janak sutavaram.

Bhaju deenbandhu dinesh danav daitya vansh nikandanam,Raghunand anandakand kaushal chandra dasharath nanadanam.

Sir mukut kundal tilak charu udaru anga vibhushanam,Aajaanubhuj shar chaap dhar, sangrama jita kher dushanam.

Iti vdti tulasidas shankar sesh muni man ranjanam,Mama hridaya kunj nivaasa kuru, kaamaadi khal dal ganjanam.

Manu jaahi rahehu milih so baru sahaj sundar sawaro,karuna nidhan sujaan seel snahu janat ravro 
Ehi bhanti gauri asis suni siy shit hi harshi ali,tulsi bhawani puji puni puni mudit mn mandir chali.

jani gauri anukul, siya hiy  harsh na jaat kahi
manjul magal mul baam ang phrakn lege.


शीतला माता की आरती/ Sheetla Mata Aarti


जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता || जय शीतला माता ||

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता || जय शीतला माता ||

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता || जय शीतला माता ||

इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता || जय शीतला माता ||

घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता। जय शीतला माता…

ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता || जय शीतला माता ||

जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता || जय शीतला माता ||

रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता || जय शीतला माता ||

बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता || जय शीतला माता ||

शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता || जय शीतला माता ||

दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता || जय शीतला माता ||



Jai Sheetla Mata, Maiya Jai Shitla Mata,
Aadi Jyoti Maharani Sab Fal Ki Data || Jai Sheetla Mata ||
Ratan Sinhasan Shobhit, Shwet Chatra Bhrata,
Ridhi-Sidhichamvar Dolawe, Jagmug Chavi Chata || Jai Sheetla Mata ||
Vishnu Sevat Thade, Seve Shiv Dhata,
Ved Puran Barnat Paar Nahi Pata || Jai Sheetla Mata||
Indra Mridang Bajawat Chandra Vina Haatha,
Suraj Taal Bajate Narad Muni Gata || Jai Sheetla Mata ||
Ghanta Shankh Shenyi Baaje Man Bhata,
Karein Bhagatjan Aarti Lkhi Lkhi Harhata ||Jai Sheetla Mata ||
Brahma Roop Vardani Tuhi Teen Kaal Gyata,
Bhagtan Ko Sukh Denu Matu Pita Bhrata ||Jai Sheetla Mata ||
Jo Bhi Dhyan Lagawe Prem Bhakti Lata,
Sakal Manorath Pave Bhavnidhi Tar Jata ||Jai Sheetla Mata ||
Rogan Se Jo Pidit Koi Sharan Teri Aata,
Kodhi Pave Nirmal Kaya Andha Naitr Pata ||Jai Sheetla Mata ||
Banjh Putra Ko Pave Darad Kati Jata,
Tako Bhaje Jo Nahi Sir Dhuni Pachtata ||Jai Sheetla Mata ||
Sheetal Karti Janani Tuhi Hai Jag Trata,
Utpatti Vyadhi Vinashat Tu Sabki Ghata ||Jai Sheetla Mata ||
Das Vichitra Kar Jore Sun Meri Mata,
Bhakti Apni Dijiye Aur Na Kuch Bhata ||Jai Sheetla Mata ||