तुम्हे जब देखता हूँ मैं
तो सब कुछ भूल जाता हूँ
कहाँ हूँ क्यों खड़ा हूँ मैं
ये सब भी भूल जाता हूँ
तुम्हारी आँखों का काजल
गजल मेरी बनाता है
तुम्हारी साँस की खुशबू
मेरा तन - मन महकाता है
तुम्हे पाकर पास अपने
मैं दुनिया को भूल जाता हूँ
तुम्हारा मुस्कुराना भी
खिलते फूलो सा लगता है
तुम्हारा यूँ शरमाना विक्रान्त
के दिल को चुराता है
तुम्हे जब देखता हूँ मैं
तो सब कुछ भूल जाता हूँ
कहाँ हूँ क्यों खड़ा हूँ मैं
ये सब भी भूल जाता हूँ
तो सब कुछ भूल जाता हूँ
कहाँ हूँ क्यों खड़ा हूँ मैं
ये सब भी भूल जाता हूँ
तुम्हारी आँखों का काजल
गजल मेरी बनाता है
तुम्हारी साँस की खुशबू
मेरा तन - मन महकाता है
तुम्हे पाकर पास अपने
मैं दुनिया को भूल जाता हूँ
तुम्हारा मुस्कुराना भी
खिलते फूलो सा लगता है
तुम्हारा यूँ शरमाना विक्रान्त
के दिल को चुराता है
तुम्हे जब देखता हूँ मैं
तो सब कुछ भूल जाता हूँ
कहाँ हूँ क्यों खड़ा हूँ मैं
ये सब भी भूल जाता हूँ
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