Wednesday, 19 January 2022

तुम्हे जब देखता हूँ मैं

तुम्हे जब देखता हूँ मैं 
तो सब कुछ भूल जाता हूँ 
कहाँ हूँ क्यों खड़ा हूँ मैं 
ये सब भी भूल जाता हूँ 
तुम्हारी आँखों का काजल 
गजल मेरी बनाता है 
तुम्हारी साँस की खुशबू 
मेरा तन - मन महकाता है 
तुम्हे पाकर पास अपने 
मैं दुनिया को भूल जाता हूँ 
तुम्हारा मुस्कुराना भी 
खिलते फूलो सा लगता है 
तुम्हारा यूँ शरमाना विक्रान्त 
के दिल को चुराता है 
तुम्हे जब देखता हूँ मैं 
तो सब कुछ भूल जाता हूँ 
कहाँ हूँ क्यों खड़ा हूँ मैं 
ये सब भी भूल जाता हूँ

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