Wednesday, 19 January 2022

खोया - खोया रहता हूँ

जब से मिला हूँ तुमसे मैं, 
बस खोया - खोया रहता हूँ, 
मिल जाऊँ तुमसे जल्दी मैं, 
यही ख्वाब संजोया रहता हूँ, 
जल्दी से तुमको पा जाऊँ, 
मैं और तुम से हम हो जाऊँ, 
इस सपने में रंग भरने को, 
मैं सोया - सोया रहता हूँ, 
होगी वो कहाँ, कैसे होगी, 
ये बात सताती है विक्रान्त को हरपल, 
रहेगी इक दिन साथ मेरे, 
ये उम्मीद जगाये रहता हूँ
जब से मिला हूँ तुमसे, 
बस खोया - खोया रहता हूँ।

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