Friday, 1 November 2013

मेरे जैसी हो/ MERE JAISI HO

न वो परी हो, न परी जैसी हो,
मुझे तलाश है उसकी, जो मेरे जैसी हो,
मेरे दिल को पहचानती हो बस,
वो कोई भी हो, कहीं भी हो, कैसी भी हो,
अगर कभी रूठ जाऊं मैं उससे तो,
मुस्कुरा के मनाये वो ऐसी हो,
दुखो में हँसने का हुनर जानती हो,
एक ऐसी हमसफर जो समंदर की तरह गहरी हो,
उम्र भर वो मेरे साथ चले वो ऐसी हो,
मुझे तलाश है उसकी जो मेरे जैसी हो।


na wo pari ho, na pari jaisi ho,
mujhe talash hai uski jo mere jaisi ho,
Mere dil ko pehchanti ho bas,
wo koi bhi ho, kahin bhi ho, kaisi bhi ho,
agar kabhi ruth jaun mai usse to,
muskura ke manaye wo aisi ho,
dukhon me hasne ka hunar janti ho,
ek aisi hum safar jo samundar ki tarah gehri ho,
umar bhar mere sath chale wo aisi ho,
mujhe talash hai uski jo mere jaisi ho.

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