Sunday, 7 October 2018

चिड़िया का ज्ञान


राजा भानुप्रताप के विशाल महल में एक सुंदर वाटिका थी, जिसमें अंगूरों की एक बेल लगी थी, वहां रोज एक चिड़िया आती, मीठे अंगूर चुनकर खा जाती और अधपके व खट्टे अंगूरों को नीचे गिरा देती, माली ने चिड़िया को पकड़ने की बहुत कोशिश की पर वह हाथ नहीं आयी, हताश होकर एक दिन माली ने राजा को यह बात बताई, यह सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ, उसने सोचा इस चिड़िया को वह खुद पकड़ेगा और उसे सबक सिखाएगा, अगले दिन राजा वाटिका में छिपकर बैठ गया, जब चिड़िया आयी तो राजा ने उसे पकड़ लिया, वह चिड़िया की गर्दन मरोड़ने ही वाला था कि चिड़िया बोली-राजन, मैं आपको ज्ञान की चार महत्वपूर्ण बातें बताऊंगी, राजा ने कहा जल्दी बता, चिड़िया बोली- *पहली बात ये की हाथ में आये शत्रु को कभी मत छोड़ो*, राजा ने कहा-दूसरी बात....? चिड़िया ने कहा- *किसी असम्भव बात पर भूलकर भी विश्वास मत करो,* तीसरी बात यह कि *बीती बातों पर कभी पश्चाताप मत करो,* राजा ने कहा- अब चौथी बात भी जल्दी बतादो, इसपर चिड़िया बोली, चौथी बात बड़ी रहस्यमयी है, मेरी गर्दन थोड़ी ढ़ीली करें क्योंकि मेरा दम घुट रहा है, कुछ सांस लेकर ही बता सकूंगी, चिड़िया की बात सुन राजा ने जैसे ही अपना हाथ ढीला किया, चिड़िया उड़कर एक डाल पर बैठ गई, राजा भौंचक्का सा उसे देख रहा था, चिड़िया बोली- हे राजन, *चौथी बात यह है कि ज्ञान की बात सुनने से कुछ लाभ नहीं होता उसपर अमल करने से होता है,* अगर आप मेरी पहली बात पर अमल किए होते तो आज मै आपके गिरफ्त मे होती। मैं आपकी शत्रु थी, फिर भी मुझे पकड़ने के बाद आप मेरी अच्छी-अच्छी बातों के बहकावे में आ गए और मुझे ढीला छोड दिया, अब तो आप अपनी गलती पर बस पछता सकते हैं, इतना कहकर चिड़िया उड़ गई और राजा ठगे से खड़े रह गए।

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