Sunday, 17 January 2016

प्यार को न कभी आजमाना।

एक दिन किसी ने यूँ ही सोचा,
        प्यार को आजमाने चलेंगे।
प्यार है या है कोई दिखावा,
        इसका पता हम लगाने चलेंगे।
कर लिया दिल में पक्का इरादा,
         अन्त में घर से बाहर निकला।
जल्दी ही पहुँच गया पास उसके,
          जिसे   आजमाने   चले   थे।
साथ में दो कन्या को लेकर,
         उसके सामने से  जब गुजरा।
वो तड़प उठी देखकर ऐसे,
    मछली तड़पती है जल बिन जैसे।
तब से जब भी है वो मिलती,
         मुँह घुमाकर वो है निकलती।
न वो मुझसे कुछ है कहती,
          और न ही मेरा कुछ सुनती।
कोई उसको जाकर बताये,
        मेरे दुःख को उसे कोई सुनाये।
अपने प्यार को आजमा कर,
    कितना दुःखी हूँ ये कोई समझाये।
विक्रान्त का भाई ये है कहना,
          प्यार को न कभी आजमाना।
प्यार तो है भरोसे का नाम,
    इसको नहीं है आजमाने का काम।
प्यार पर जो न करते हैं भरोसा,
        प्यार में वह ही पाते हैं धोखा।
आज से कोई कभी न कहना,
       प्यार को आजमाने चलेंगे।।

Saturday, 16 January 2016

खुद पर विश्वास करें।

कल रात एक सपना देखा,
पापा थे मुझे समझा रहे,
तुम खुद को न अकेला समझो,
हम तो हैं तेरे साथ खड़े,
जिस राह पे तुम जाना चाहो,
बढ़ जाओ तुम न घबराओ,
जहाँ भी तुम जाओगे,
साथ में मुझको पाओगे,
तेरे नाम से है मेरा नाम जुड़ा,
तो फिर क्यों तुम घबराते हो,
तुझमें है अंश मौजूद मेरा,
तो क्यों खुद को अकेला मानते हो,
तुम्हे साथ किसी का क्यों चाहिए,
जब मैं हूँ तेरे साथ खड़ा,
जो चाहो विक्रान्त कर सकते हो,
नहीं है कोई भी काम तुमसे बड़ा,
जीवन के इन राहो पर,
बेझिझक तुम आगे बढ़ो,
कुछ गड्ढ़े आएंगे राहो में,
न उन्हें सोचकर तुम आहें भरो,
पहुँचोगे एक दिन तुम वहाँ,
मंजिल तुम्हारी होगी जहाँ,
सुबह उठकर पापा से बात किया,
तो पापा ने फिर से समझाया,
जीवन का तो नाम ही दुःख है,
इससे न कोई पार पाया,
पर जो हर हाल में खुश रहते हैं,
हर मंजिल में वह ही खुशियाँ पाते हैं,
पा जाओगे सारी खुशियाँ,
मेरी बात पर तुम विश्वास करो,
पा जाओगे हर मंजिल को,
पर पहले खुद पर विश्वास करो।

Tuesday, 12 January 2016

धैर्यता/ Dhairyta

जिन्दगी है संघर्ष एक,
इस से न डरकर भागना,
जो डर गया वो मर गया,
जब कहते हैं सब ही इसे,
तब उन्हें क्या होता है,
जो लगाते हैं मौत को गले,
ये तो न कोई बीरता है,
न ही कोई धैर्यता,
करना अगर है तो, कुछ यूँ करो,
जिस से भाग जाये डरकर कायरता,
डरता नहीं है, है निडर,
घबराता नहीं है, है धैर्यवान्
हँसकर लगाता है वो सदा,
कष्ट को भी अपने गले,
कष्ट को भी कष्ट होने लगता है,
देखकर ऐसे मनुष्य की धीरता,
विक्रान्त का है मानना कि,
सुख में तो हम सबने हँसा,
दुःख में अगर हँस न सकें तो,
मुस्कुराते रहें सदा,
सुख और दुःख तो आयेंगे,
और आकर चले जायेंगे,
सुख - दुःख की इस परीक्षा में,
लेना है संतुलन का अंक सदा।

Zindagi hai sangharsh ek,
Isse na dar kar bhagna,
Jo dar gaya wo mar gaya,
Jab kehte hain sab hi ise,
To unhe kya hota hai,
Jo lagate hai mout ko gale,
Ye to na koi veerta hai,
Na hi koi dhairyta,
Karna agar hai kuchh yun karo,
Jis se bhag jaye dar kar kayarta,
Darta nahi hai, hai nidar,
Ghabrata nahi hai, hai dhairyawan,
Has kar lagata hai wo sada,
Kasht ko bhi apne gale,
Kasht ko bhi kasht hone lagta hai,
Dekh kar aise manushy ki dheerta,
Vikrant ka hai maan na ki,
Sukh me to hum sabne hasa,
Dukh me agar has na sake,
To muskurate rahe sada,
Sukh aur dukh to aayenge,
Aur aakar chale jayenge,
Sukh aur dukh ki is pariksha me,
Lena hai santulan ka ank sada.