प्यार को आजमाने चलेंगे।
प्यार है या है कोई दिखावा,
इसका पता हम लगाने चलेंगे।
कर लिया दिल में पक्का इरादा,
अन्त में घर से बाहर निकला।
जल्दी ही पहुँच गया पास उसके,
जिसे आजमाने चले थे।
साथ में दो कन्या को लेकर,
उसके सामने से जब गुजरा।
वो तड़प उठी देखकर ऐसे,
मछली तड़पती है जल बिन जैसे।
तब से जब भी है वो मिलती,
मुँह घुमाकर वो है निकलती।
न वो मुझसे कुछ है कहती,
और न ही मेरा कुछ सुनती।
कोई उसको जाकर बताये,
मेरे दुःख को उसे कोई सुनाये।
अपने प्यार को आजमा कर,
कितना दुःखी हूँ ये कोई समझाये।
विक्रान्त का भाई ये है कहना,
प्यार को न कभी आजमाना।
प्यार तो है भरोसे का नाम,
इसको नहीं है आजमाने का काम।
प्यार पर जो न करते हैं भरोसा,
प्यार में वह ही पाते हैं धोखा।
आज से कोई कभी न कहना,
प्यार को आजमाने चलेंगे।।