सौ किस्से हैं मिलते- जुलते,
पर एक मजबूरी ठीक नहीं,
जो कहना है खुल कर कह दे,
बात अधूरी ठीक नहीं,
दुनिया से लड़ जाओ पर,
यूँ तड़पते रहना ठीक नहीं,
जो सोचे न हमारे बारे में,
उसके बारे में सोचना ठीक नहीं,
कब तक अलग- अलग तड़पे हम,
अब ऐसे तड़पना ठीक नहीं,
जाकर सबसे खुलकर कह दो,
अब उनसे दूर रहना ठीक नहीं।
पर एक मजबूरी ठीक नहीं,
जो कहना है खुल कर कह दे,
बात अधूरी ठीक नहीं,
दुनिया से लड़ जाओ पर,
यूँ तड़पते रहना ठीक नहीं,
जो सोचे न हमारे बारे में,
उसके बारे में सोचना ठीक नहीं,
कब तक अलग- अलग तड़पे हम,
अब ऐसे तड़पना ठीक नहीं,
जाकर सबसे खुलकर कह दो,
अब उनसे दूर रहना ठीक नहीं।
Sau kisse milte julte,
par ek majburi thik nahi,
jo kehna hai khulkar keh de,
baat adhuri thik nahi,
duniya se lad jaoo par,
yun tadapte rahna thik nahi,
jo soche na tumhare bare me,
uske bare me sochna thik nahi,
kab tak alag - alag tadpe hum,
ab aise tadapna thik nahi,
jakar sabse khulkar keh do,
ab unse door rahna thik nahi.
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