Saturday, 12 December 2015

जिन्दगी में पैसे कमाकर बचाना....

बचपन में था देखा मैंने,
सभी लोग लगते थे अपने,
सभी प्यार से मुझे बुलाते,
अच्छी- अच्छी बाते सुनाते,
जैसे- जैसे बड़ा हुआ मैं,
पढ़- लिखकर होशियार हुआ मैं,
लोगो का बदला व्यवहार,
बना दिया मुझे घर का जिम्मेदार,
एक दिन घर में मैं गुस्साया,
घर वालो ने पंडित को बुलाया,
पंडित जी ने कहा सुनो मेरे विचार,
जल्दी कर दो अब मंत्रोचार,
फिर घर में शुरू हो गयी फुसफुसाई,
देखते ही देखते हो गयी मेरी सगाई,
आखिर वह भी समय आ गया,
जब मैं दुल्हन लेकर घर आ गया,
कुछ दिन घर में था आराम,
थोड़े ही दिन में मच गया कोहराम,
नहीं रहा था अब मैं ब्रम्हचारी,
हो चुका था अब मैं व्यभिचारी,
देखते ही देखते पिता बन गया,
यहाँ से मुश्किल और बढ़ गया,
मुझसे कही किसी ने बात पते की,
घर छोड़ कुछ काम करने की,
उसकी बात मान कर मैं बदल गया,
काम करके पैसे वाला बन गया,
लोगो की निगाह में इन्सान बन गया,
सबकी नजर में सम्मान बढ़ गया,
किसी ने सच ही कहा है भाई,
पैसे से सब करे मिताई,
अगर घर गाँव में है नाम कमाना,
तो जिन्दगी में कुछ पैसे कमाकर बचाना,
देख यही दुनिया की कहानी,
विक्रान्त ने बनाई अपनी जुबानी।

काश तुम समझ पाते/ Kash tum samajh pate

काश तुम समझ पाते,
कितना चाहा है तुमको,
कितना माँगा है तुमको,
किस कदर मोहब्बत है,
काश तुम समझ पाते,
जान ये तुम्हारी है,
हर खुशी तुम्हारी है,
दिल्लगी तुम्ही से है,
जिन्दगी तुम्ही से है,
काश तुम समझ पाते,
तुम रूह की जरुरत हो,
तुम दिल की इबादत हो,
तुम मेरी मोहब्बत हो,
काश तुम समझ पाते,
सिर्फ तुमसे मोहब्बत है,
सिर्फ तुमको ही चाहा है,
काश तुम समझ पाते,
काश तुम समझ पाते।




Kash tum samjh pate, 
Kitna chaha hai tumko, 
Kitna manga hai tumko, 
Kis kadar mohabbat hai,
Kash tum samjh pate, 
Jaan ye tumhari hai, 
Har khushi tumhari hai, 
Dillagi tumhi se hai, 
Zindagi tumhi se hai, 
Kash tum samjh pate, 
Tum rooh ki jarurat ho, 
Tum dil ki ibadat ho, 
Tum meri mohabbat ho, 
Kash tum samjh pate,
Sirf tumse mohabbat hai, 
Sirf tumko hi chaha hai, 
Kash tum samjh pate, 
Kash tum samjh pate.


Thursday, 10 December 2015

अब ऐसे तड़पना ठीक नहीं....

सौ किस्से हैं मिलते- जुलते,
पर एक मजबूरी ठीक नहीं,
जो कहना है खुल कर कह दे,
बात अधूरी ठीक नहीं,
दुनिया से लड़ जाओ पर,
यूँ तड़पते रहना ठीक नहीं,
जो सोचे न हमारे बारे में,
उसके बारे में सोचना ठीक नहीं,
कब तक अलग- अलग तड़पे हम,
अब ऐसे तड़पना ठीक नहीं,
जाकर सबसे खुलकर कह दो,
अब उनसे दूर रहना ठीक नहीं।




Sau kisse milte julte, 
par ek majburi thik nahi, 
jo kehna hai khulkar keh de,
baat adhuri thik nahi,
duniya se lad jaoo par,
yun tadapte rahna thik nahi,
jo soche na tumhare bare me,
uske bare me sochna thik nahi,
kab tak alag - alag tadpe hum,
ab aise tadapna thik nahi,
jakar sabse khulkar keh do,
ab unse door rahna thik nahi.