Sunday, 3 August 2014

जीवन के ये २६ साल

जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं
कुछ खोया है कुछ पाया है
कुछ खोना पाना बाकी है
कुछ लोग यहाँ पर हैं अपने
कुछ अपने होकर भी पराये हैं
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं
बचपन में लड़खड़ाते कदमो पर
अपने ही बने सहारे थे
अपनों ने इतना प्यार दिया
दुनिया में जीना सिखा दिया
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं,
कॉलेज में ज्यादा पढ़ न सका
कम ही शिक्षा हो पाई है
पर घर से जो संस्कार मिला
वो विक्रान्त के जीवन भर की कमाई है
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गये कुछ पता नहीं
आज अपनों से हम दूर सही
पर अपने हर पल याद आये है
अपनों से यूँ ही दूर नहीं
कुछ जिम्मेदारी पूरी करने आये हैं
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं।

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