Sunday, 3 August 2014

जन्मदिन का संदेशा

आज सुबह कुछ अलग रही
जैसे दादी मुझको थी जगा रही
उठकर देखा तो कोई नहीं
सिर्फ मेरी ही परछाई थी
उठते ही जो याद आया
वो मम्मी पापा की सूरत थी
घर से बाहर जब मैं निकला
तो सबकुछ मुझको नए लगे
जैसे सबकुछ मन ही मन में
मुझसे थे कुछ कह रहे
ये अदभुद बदलाव है क्यूँ
ये मुझे समझ में तब आया
जब मोबाइल पर अपनों का
जन्मदिन का संदेशा पाया
अपनों से जो प्यार मिला
उससे आँखे भर आयीं है
अपनों से विक्रान्त दूर सही
पर उनकी हर पल याद आई है।

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