Saturday, 16 August 2014

DIL KUCHH BHI SAMAJHTA NAHI HAI


Samjhaya maine bahut apne dil ko,
Magar ye to kuchh bhi samajhta nahi hai,
Socha bahut ki use bhool jaun,
Par ye pagal dil usko bhulata kahan hai,
socha badal dun mai apni dunia,
Par pahle hi dunia meri badli hui hai,
Socha mai uski zindagi se chala jaun,
Par jaun kahan jab wo meri zindagi hai,
Ye zalim zamana hai dil se begana hai,
Is dunia se chhupa kar use kahan lekar jaun,
Chhod dun agar zamane me usko kahin to,
Uski judai ka gam VIKRANT kaise bhulaye,
Samjhaya maine bahut apne dil ko,
Magar ye to kuchh bhi samajhta nahi hai..

Sunday, 3 August 2014

जीवन के ये २६ साल

जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं
कुछ खोया है कुछ पाया है
कुछ खोना पाना बाकी है
कुछ लोग यहाँ पर हैं अपने
कुछ अपने होकर भी पराये हैं
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं
बचपन में लड़खड़ाते कदमो पर
अपने ही बने सहारे थे
अपनों ने इतना प्यार दिया
दुनिया में जीना सिखा दिया
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं,
कॉलेज में ज्यादा पढ़ न सका
कम ही शिक्षा हो पाई है
पर घर से जो संस्कार मिला
वो विक्रान्त के जीवन भर की कमाई है
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गये कुछ पता नहीं
आज अपनों से हम दूर सही
पर अपने हर पल याद आये है
अपनों से यूँ ही दूर नहीं
कुछ जिम्मेदारी पूरी करने आये हैं
जीवन के ये २६ साल
कब बीत गए कुछ पता नहीं।

जन्मदिन का संदेशा

आज सुबह कुछ अलग रही
जैसे दादी मुझको थी जगा रही
उठकर देखा तो कोई नहीं
सिर्फ मेरी ही परछाई थी
उठते ही जो याद आया
वो मम्मी पापा की सूरत थी
घर से बाहर जब मैं निकला
तो सबकुछ मुझको नए लगे
जैसे सबकुछ मन ही मन में
मुझसे थे कुछ कह रहे
ये अदभुद बदलाव है क्यूँ
ये मुझे समझ में तब आया
जब मोबाइल पर अपनों का
जन्मदिन का संदेशा पाया
अपनों से जो प्यार मिला
उससे आँखे भर आयीं है
अपनों से विक्रान्त दूर सही
पर उनकी हर पल याद आई है।