योग हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक जीवन का विकास करता है,
योग का अर्थ जुड़ना होता। योग - आसन, प्राणायाम, मुद्रा और ध्यान के माध्यम से प्राप्त होती है।
योग किसी भी बीमारी में इलाज का एक सफल विकल्प भी है।
योग में सीमा और सावधानियां -
योग करने की कोई सीमा नहीं है, बशर्ते किसी योग गुरु के निगरानी में किया जाए।
योग मुख्यतः चार प्रकार हैं।
1) राजयोग - इस योग का सबसे महत्वपूर्ण अंग है ध्यान। योगसूत्र में पतंजलि ने इसके आठ अंग बताएं हैं -
यम, नियम, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
2) कर्मयोग - दैनिक जीवन में किया गया कोई भी कार्य कर्मयोग की श्रेणी में आता है, हम वर्तमान में अच्छा कर्म करके भविष्य को अच्छा बना सकते है। अपने द्वारा निःस्वार्थ भाव से किया गया कोई भी काम कर्मयोग के अंतर्गत आता है।
3) भक्तियोग - सभी में और हर काम में ईश्वर की प्रेरणा मानना ही भक्ति योग है।
4) ज्ञानयोग - ज्ञानयोग बुद्धि का योग है, ज्ञान योग सबसे कठिन माना जाता है, इसमे बहुत अध्ययन करना होता है।
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