Monday, 15 November 2021

देवउठनी एकादशी/Dev Uthani Ekadashi

 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दीपावली के बाद आने वाली एकादशी को पूरे चार महीने बाद भगवान विष्णु जागते हैं इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं

जिन चार महीनों में श्रीहरि सोते हैं उन महीनों में विवाह और उपनयन जैसे कोई भी मंगल कर्म नहीं किए जाते हैं. देवोत्थान एकादशी को तुलसी विवाह भी होता है


पद्मपुराणके उत्तरखण्डमें वर्णित एकादशी-माहात्म्य के अनुसार श्री हरि-प्रबोधिनी (देवोत्थान) एकादशी का व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ तथा सौ राजसूय यज्ञों का फल मिलता है। इस परमपुण्यप्रदाएकादशी के विधिवत व्रत से सब पाप भस्म हो जाते हैं तथा व्रती मरणोपरान्त बैकुण्ठ जाता है। इस एकादशी के दिन भक्त श्रद्धा के साथ जो कुछ भी जप-तप, स्नान-दान, होम करते हैं, वह सब अक्षय फलदायक हो जाता है। देवोत्थान एकादशी के दिन व्रतोत्सवकरना प्रत्येक सनातनधर्मी का आध्यात्मिक कर्तव्य है।

देवुत्थान एकादशी के दिन कुछ बातों का ध्यान करके दुखों का नाश किया जा सकता है मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के दुखों का नाश होता है और मृत्यु के बाद उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही, श्री हरि को पीले रंग के फूल और वस्त्र समर्पित करने चाहिए ऐसा करने से श्री हरि विष्णु आपके दुखों को दूर करते हैं और सुख समृद्धि का वर प्रदान करते हैं

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