Sunday, 22 November 2015

वो बेगाना याद आता है,

बारिश में यूँ भीगकर,
कोई जमाना याद आता है,
जो हुआ न अपना,
वो बेगाना याद आता है,
याद आ रहा है वो पल,
जब वो भीगकर आई थी,
मेरे सामने जैसे कोई,
अप्सरा उतर आई थी,
फिर हाथो में लेकर हाथ,
हम नहाये थे एक साथ,
आज अकेले भीगते हुये,
वो अफसाना याद आता है,
जो हुआ न अपना,
वो बेगाना याद आता है,
याद आ रहा है वो पल भी,
जब हम साथ नहा कर आये थे,
ठंढ के मारे हमारे,
दांत कटकटाये थे,
फिर हम सिमटे थे,
एक दूसरे की चादर बन,
आज बारिश में अकेले भीगकर,
विक्रान्त को वो याराना याद आता है,
जो हुआ न अपना,
वो बेगाना याद आता है।